नितिनमोहन शर्मा
अवघरदानी मृत्यंजय भगवान भोलेनाथ के प्रिय ओर पवित्र सावन माह में ही महादेव की प्रिय “विजया” प्रसादी का संकट आ गया है। शिव शंकर शम्भू भोलेनाथ को सर्वत्र विजय दिलाने वाली ” विजया” यू तो भांग कहलाती है लेकिन इसके बगेर महादेव का किसी भी प्रकार का अभिषेक अपूर्ण रहता है। बगेर भांग के भोलेनाथ का पूजन अर्चन ओर अभिषेक संकट में आ गया है। ये संकट जिला प्रशासन की भांग दुकानों पर हुई कार्रवाई से आया है। कलेक्टर के निर्देश पर हुई कार्रवाई में शहर की सभी 28 भांग दुकानें सील कर दी गई है।
ये दुकानें ठेकेदार मुजाहिद खान की थी लेकिन इन सबमे आबकारी नियमो को ताक में रखकर भांग बेची जा रही थी। यही नही, ठेकेदार मुजाहिद खान इन भांग दुकानों के नाम पर बड़ी मात्रा में अवैध भांग का कारोबार भी कर रहा था। सरकारी टेंडर के जरिये दुकानें तो मुजाहिद ने एक नम्बर में ले ली लेकिन इसी टेंडर की आड़ में वो दो नम्बर का काम कर रहा था। कलेक्टर मनीष सिंह की नजर से मुजाहिद की ये कारस्तानी छुप नही सकी और उन्होंने न केवल टेंडर निरस्त कर दिया बल्कि भांग की दुकानों को भी सील कर दिया।
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कलेक्टर की कार्रवाई तो शहर हित मे हुई लेकिन परेशानी में आ गए भोलेनाथ के भक्त। वह भी सावन माह में। अब न अभिषेक करने वालो को पूजन के लिए भांग मिल रही है और न शिवालयों को भगवान भूतनाथ के श्रंगार के लिए “विजया महारानी” मिल रही है। आबकारी विभाग के अधीन इन भांग की दुकानो को नए सिरे से खोलने के लिए जिला प्रशासन ने नई टेंडर प्रक्रिया शुरू की है। सरकारी बोली के जरिये 29 जुलाई को टेंडर प्रक्रिया होना है। तब तक भांग की दुकानों का क्या होगा? ये सवाल सामने आया है।
इस मामले में शिवालयों ओर मठ-मन्दिर व आश्रमो से जुड़े लोगो का कहना है कि कलेक्टर साहब की कार्रवाई तो एकदम सही है लेकिन जब तक नए सिरे से टेंडर होकर दुकानें आवंटित नही होती तब तक प्रशासन को इन दुकानों को खुली रखने के लिए कोई वैकल्पिक ब्यवस्था करना चाहिए। इसके लिए वो ही प्रक्रिया अपनाई जाना चाहिए जो शराब की दुकानों के लिए की गई थीं।
कोरोना काल मे जिले की सभी शराब दुकानों के सामने भी ऐसी ही स्थिति बन गई थी। कोरोना महामारी में टेंडर प्रक्रिया नही हुई थी। दुकान कैसे खोले ओर कौन संचालित करें? तब कलेक्टर के निर्देश पर आबकारी विभाग के अमले ने शराब दुकानों का तब तक संचालन किया था, जब तक नए टेंडर होकर ठेकेदार सामने आए। अब भांग दुकानों को भी उसी तरह संचालित करना चाहिए जब तक नए टेंडर नही होते।
भांग का कारोबार बरसो से मुजाहिद के पास, अवैध कमाई में करोड़ो का कारोबार
भांग का खेल भी इस शहर में अनूठा है। शराब की दुकानों को लेकर तो सामान्यजन तक भी ये खबर रहती है कि इस साल का ठेका कितने में गया और किसने लिया। लेकिन भांग के मामले में ऐसा नहीं है। जन सामान्य की रुचि कम होने से भांग के कारोबार में माफिया लम्बे समय से सक्रिय है। इस काम मे “नफीस” ब्रांड रहता आया है और मुजाहिद भी इसी रैकेट से जुड़ा है। राजनीतिक रसूख ओर विभाग से मिलीभगत कर ये माफिया भांग का ठेका तो चंद लाख में ले लेते है और फिर उसकी आड़ में पूरे शहर में अवैध भांग का कारोबार करते है।
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सरकारी रिकॉर्ड में शहर में 28 भांग की दुकानें है। इसमे 16 दुकानों को भांग घोटा की अनुमति है। यानी ठंडाई बनाकर भांग पिलाने की परमिशन है। 12 दुकाने भांग दुकान के नाम से आवंटित है। यानी यहां से सूखी भांग का पैकेट ही बेचा जा सकता है। लेकिन मुजाहिद इन सभी 28 दुकानों का इस्तेमाल भांग घोटा के लिए कर रहा था। इसके अलावा शहर के ऐसे 2 दर्जन से ज्यादा ठिये है जहां अवैध रूप से भांग बेची जाती है। इन सब ठिकानों पर मुजाहिद खान ही भांग की सप्लाई करता है। पहली बार इस माफिया पर कार्रवाई हुई है। वह भी कलेक्टर मनीषसिंह के कारण। अब भांग माफिया अंदर तक तिलमिलाया हुआ है। नई टेंडर प्रक्रिया में भी शामिल होने से डर रहा है। आमतोर पर ये माफिया हर साल एक सिंडिकेट बनाकर ये भांग ठेके झपट लेता था। इस बार कलेक्टर के रहते ये सम्भव नही।
कलेक्टर के निशाने पर 6 महीने से था भांग माफिया
नफीस ब्रांड के साथ काम कर रहा भांग माफिया मुजाहिद खान कलेक्टर मनीष सिंह के निशाने पर बीते 6 महीने से था। उसको भनक नही थी कि उसका भांग का अवैध करोबार जिला प्रशासन के राडार पर आ गया है। मुजाहिद के पास ट्रकों से अवैध रूप से भांग आती है। ऐसा नही की आबकारी विभाग मुजाहिद के अवैध कारोबार न अनभिज्ञ था। उसे खबर पूरी थी लेकिन हर महीने का मोटा लेनदेन विभाग को कार्रवाई से रोकता रहा। आबकारी विभाग दिखावे के लिए साल छ महीने में अवैध रूप से भांग बेचने वालों के खिलाफ करवाई करता रहता है ताकि जनसामान्य में सन्देश जाए कि हम तो करते है कार्रवाई।
लेकिन आबकारी विभाग की कार्रवाई कितनी असरकारक रहती है, ये इससे ही पता चल जाता है कि जिस जगह छापा पड़ता है, उसी स्थान पर घण्टेभर बाद फिर अवैध रूप से भांग बिकने लग जाती है। चूंकि भांग की सरकारी दुकानों और अवैध ठियो पर बिकती भांग के दाम के बीच एक बड़ा अंतर रहता है। लिहाजा वेध रूप से कई गुना बड़ा करोबार अवैध रूप से बिकने वाली भांग का रहता है।
सरकारी दुकान पर जहा किलो चार छ किलो भांग बिकती है तो वहीं अवैध ठियो पर एक दिन में एक से दो क्विंटल भांग खप जाती है। नफीस वालो के जरिये मुजाहिद इसी खेल में बरसों बरस से लगा हुआ था। गुलजार कालोनी वाले क्षेत्र से अभी हाल ही में मुजाहिद के परिवार से पार्षद का चुनाव भी लड़ा गया और जीत भी लिया गया। माफियाओं के खिलाफ सख्त तेवर के लिए पहचाने जाने वाले कलेक्टर मनीष सिंह के निशाने पर भांग माफिया पहली बार आया है। सिंह की कार्यशैली तो अब तक ये ही संकेत दे रही है कि इस बार इंदौर जिले में भांग के कारोबार पर बरसो से काबिज़ माफियाओं के लिये इस बार फिर से टेंडर लेना नामुमकिन रहना है।