भाई दूज या यम द्वितीया अपराह्न व्यापिनी ग्रहण करना चाहिए। इस दिन यमुना स्नान, यम पूजन और बहन के घर भाई को भोजन करना चाहिए। भाई दूज के दिन अष्टदल कमल पर गणेश आदि की स्थापना करके यम, यमुना, चित्रगुप्त की पूजन करना चाहिए। भाई दूज के दिन कोई भी भाई अपने घर पर भोजन न करें। इस दिन बहन के यहां ही भोजन करना चाहिए। पूजन के बाद यह प्रार्थना करें-
धर्मराज नमस्तुभ्यं नमस्ते यमुनाग्रज।
पाहि मां किंकरै: सार्धं सूर्यपुत्र नमोऽस्तुते ते।।
कथा
यम और यमुना भगवान सूर्य की संतान है। दोनों भाई- बहनों में अतिशय प्रेम है। व्यस्तता के कारण यम – यमुना परस्पर बहुत कम मिलते थे। एक बार यमुना अपने भाई यम से मिलने पहुंची। तब यमराज ने कहा – बहन मैं बहुत प्रसन्न हूं। तुम वर मांगो। तब यमुना ने कहा कि भैया आप एक दिन मेरे घर पर आकर भोजन करें। यमराज कार्तिक शुक्ल द्वितीया को यमुना के घर पहुंचे, तब यमुना ने अपनी भाई यमराजजी को भोजन कराया। उस समय यमलोक में बड़ा उत्सव हुआ, इसलिए इस तिथि का नाम “यमद्वितीया” है।
बहन यमुना ने अपने भाई यमराज को तिलक निकाला और वर मांगा कि इस दिन जो यमुना स्नान करेगा और जो भाई, बहन के घर भोजन करेगा और उससे आशीर्वाद प्राप्त करेगा, उसे कभी यम यातना नहीं होगी। यम देव ने बहन को वरदान दिया और स्वर्णालंकार, वस्त्र, द्रव्य आदि देकर संतुष्ट किया। तब से ही यम द्वितीया पर्व मनाया जाने लगा।जो भाईदूज के दिन बहन के हाथ बना भोजन करता है, उसे धन,यश, आयु, धर्म, अर्थ और असीम सुख की प्राप्ति होती है।