उध्दव ठाकरे (Uddhav Thackeray) के लिए मौजूदा दौर किसी बुरे स्वप्न से कम नहीं है। एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) की बगावत ने महाराष्ट्र की राजधानी, शिवसेना की बागडोर और उध्दव ठाकरे की राजनैतिक परिस्थिति सभी का परिदृश्य बदल दिया है। उध्दव ठाकरे को जहां महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा, वहीं एकनाथ शिंदे राज्य के नए मुख्यमंत्री के रूप में सामने आए ।
शिवसेना के विधायक, पार्षद और सांसद सभी शिंदे के साथ
शिवसेना के 40 विधायकों के द्वारा बागी गुट के नेता एकनाथ शिंदे को अपना समर्थन दिया गया, जिससे की एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के पद पर आसीन हुए। उद्धव ठाकरे को आघातों का सिलसिला यहां से लगातार बढ़ता ही चला गया । इसी क्रम में मुंबई और ठाणे जिले की नगरनिगमों के शिवसेना के पार्षदों ने भी उध्दव ठाकरे का दामन छोड़कर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का हाथ पकड़ लिया। इसके बाद ही आघात और भी ज़्यादा बड़ते हुए शिवसेना के सांसदों तक पंहुचा और शिवसेना के कुछ सांसदों के द्वारा भी शिंदे गुट के अपना समर्थन सौंप दिया ।
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अब कार्यकर्ताओं ने भी छोड़ा उध्दव ठाकरे का साथ
जानकारी के अनुसार अब महाराष्ट्र के अमरावती जिले के विदर्भ में भी पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को झटका लगा है। सूत्रों के अनुसार तालुका अध्यक्ष सहित शिवसेना के 258 कार्यकर्ता एकनाथ शिंदे के गुट में शामिल हो गए हैं। जानकारी के अनुसार कार्यकर्ताओं की एक गुप्त बैठक में यह निर्णय लिया गया है। विधायकों, पार्षदों और सांसदों की बगावत के बाद अब शिवसेना के सामान्य कार्यकर्ताओं की बगावत उध्दव ठाकरे को बहुत ही गहरी चोट लगाने वाली है, जिससे उबरना उनके लिए बड़ा ही मुश्किल होने वाला है।