यह तो हम जानते है कि आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी देवशयनी एकादशी के दिन से चतुर्मास की शुरुआत हो जाती है।कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की देवउठनी एकादशी के दिन समाप्त होता है। चतुर्मास को लेकर कहते हैं कि इस माह में भगवान विष्णु 4 माह के लिए निद्रा योग में चले जाते हैं जिसके बाद सृष्टि का सारा भाग श्री हरि सृष्टि की सभी जिम्मेदारी भगवान शिव को सौंप देते हैं। ज्योतिष शास्त्र में भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कई बहुत सारे उपाय है। लेकिन बोले नाथ तो बहुत बोले है वो श्रद्धा के साथ हाथ जोड़ने पर और मात्र जल चढ़ाने से ही प्रसन्न हो जाते है। चतुर्मास में भगवान शिव की पूजा करना बहुत ही लाभदायक होता है और इन 4 महीनों में भगवान शिव का प्रिय माह सावन भी आता है। धार्मिक काकार्यों के लिए पूजा-पाठ आदि के लिए चतुर्मास सबसे खास है। भगवान शिव का सबसे प्रिय महीना सावन का है और इन 4 महीनों में भगवान शिव की सच्चे मन से श्रद्धा पूर्वक पूजा पाठ और आराधना करने से भगवान प्रसन्न हो जाते हैं। भक्तों के कष्ट को दूर करते हुए उनके सभी इच्छाओं को पूरा करते हैं। आज हम आपको इस आर्टिकल में चतुर्मास में क्या उपाय करना चाहिए और क्या नहीं इसके बारे में जानकारी देते हैं।
चातुर्मास में भगवान शिव की कृपा पाने के लिए करे ये काम
चतुर्मास में भगवान भोलेनाथ की कृपा पाने के लिए ये 4 महीने हविष्यान्न का सेवन करना चाहिए। हविष्यान्न का अर्थ होता है अन्ना या आहार जो यज्ञ के समय किया जाता है। इन 4 महीनों में जमीन पर सोना चाहिए। चतुर्मास में चावल, मूंग, गेहूं, जो , समुद्र का नमक, घी, दही, कटहल, आम, नारियल, मूंगफली, गाय का दूध, केला आदि चीजों का सेवन करना चाहिए।
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चतुर्मास में ये काम नहीं करना
चतुर्मास के दौरान इन 4 माह में दूसरों के घर का अन्न ग्रहण नहीं करना चाहिए। इस माह में मसूर, लोबिया, मांस, अचार, बैंगन, मूली, बेर, आंवला, इमली, प्याज, लहसुन आदि का सेवन भूलकर भी नहीं करना चाहिए। इस दौरान किसी भी प्रकार के शुभ मांगलिक कार्य भी नहीं करनी चाहिए।
चतुर्मास के दौरान भगवान भोलेनाथ की कृपा पाने के लिए इन चीजों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। लेकिन अगर आप भगवान शिव को प्रसन्न करना चाहते हैं तो सच्चे मन से भगवान की आराधना करने मात्र से ही भगवान भोलेनाथ प्रसन्न हो जाते हैं।