इंदौर। पिछले 7 महीने से अंतिम संस्कार के बाद पवित्र नदियों में विसर्जन का इंतजार कर रहीं अस्थियों काे शुक्रवार को नर्मदा नदी में विधानपूर्वक विसर्जित कर दिया गया। रामबाग मुक्तिधाम से सुबह एक क्विंटल से ज्यादा अस्थियों को लेकर समिति सदस्य नर्मदा किनारे पहुंचे। यहां पंडित ने मंत्रोच्चार के साथ मृतकों की आत्माओं की शांति की प्रार्थना के साथ अस्थियों को विसर्जित करवाया। हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि अस्थियों के विसर्जन बिना अंतिम संस्कार अधूरा होता है।
कोरोना के कारण 24 मार्च से इंदौर पूरी तरह से लॉक हो गया था। इसके बाद से लंबे समय तक लोग घरों में बंद रहे। कोरोना के कारण लगातार मौतें होती रहीं। इस दौरान कुछ लावारिस लाशें भी आईं और कुछ सामान्य मौतें भी हुईं। इस दौरान संक्रमण नहीं फैले, इस कारण कोरोना संक्रमित शव का निगम-प्रशासन द्वारा ही अंतिम संस्कार करवाया गया। ऐसे में यहां अस्थियां लेने भी कई लोग नहीं पहुंच पाए। ये अस्थियां लंबे समय से मुक्तिधाम के लॉकर में रखी थीं।
रामबाग मुक्तिधाम पर ही मार्च से लेकर अक्टूबर महीने तक 1 क्विंटल से ज्यादा अस्थियां एकत्रित हो गईं, जिन्हें पवित्र नदियों में प्रवाहित करने का काम रामबाग मुक्तिधाम एवं दशा पिंड विकास समित ने किया। शुक्रवार को सभी अस्थियों काे लाॅकर से निकालकर बाेरी में भरा गया। नर्मदा नदी में विसर्जन के पहले मुक्तिधाम में ही सभी अस्थियों का विधिपूर्वक पूजन किया गया। सभी प्रक्रिया को समिति सदस्यों ने ही संपन्न करवाया।
कुछ लोग प्रतीकात्मक रूप से ले गए थे
रामबाग मुक्तिधाम विकास समिति अध्यक्ष सुधीर दांडेकर बताया कि मुक्तिधाम में काेरोना काल में लगे लॉकडाउन के बाद से ही अंतिम संस्कार के बाद यहां रखी अस्थियों का विसर्जन नहीं हो पाया था। इसमें वे लोग भी थे, जिन्हें या तो कोरोना से डर था या परिवार ही क्वारंटाइन था। कुछ लोग तो प्रतीकात्मक रूप से दो-चार अस्थियां लेकर चले गए। उन्होंने अस्थियों के विसर्जन के लिए निवेदन किया था। इतने समय में एक क्विंटल से ज्यादा अस्थियां एकत्रित हो गई थीं, जिन्हें विधि-विधान से पूजन के बाद नर्मदा नदी में प्रवाहित किया गया।