भारत के घातक ड्रोन की सफल उड़ान का वीडियो आया सामने, अब डर से कापेंगे दुश्मन देश

Shraddha Pancholi
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भारत को देश हमेशा अपनी तकनीक से सभी देशों को चौका देता है और इस बार भी ऐसा ही हुआ है। पहली बार ऑटो आइटोनामस फ्लाइंग विंग टेक्नोलॉजी डिमांस्ट्रेटर ( Autonomous Flying Wing Technology Demonstrator – AFWTD) को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन ने उड़ाया। यह उड़ान कर्नाटक के चित्रदुर्ग स्थित एयरोनॉटिकल टेस्ट रेंज में की गई। अमेरिका के बी-2 बमवर्षक की तरह दिखने वाला यह विमान पूरी तरह से स्वचालित था। सबसे खास बात कि इसने खुद ही टेक ऑफ लिया व प्वाइंट नेविगेशन और आसानी से लैंडिंग भी की। देश की रक्षा को लेकर भी यह बहुत बड़ा कदम है और बहुत बड़ी उपलब्धि है ।

हमने कई बार ड्रोन के बारे में पड़ा है। आज ड्रोन का उपयोग बहुत ज्यादा बड़ गया है। 21वीं सदी की लड़ाईयों में मानव रहित विमान यानी कि यूएवी (UAV) एक अभिन्न हिस्सा है। पिछ्ले 10 सालों में इनका उपयोग और भी ज्यादा बढ़ गया है। UAV यानी की ड्रोन तकनीक अब आतंकियों की पहुंच भी बनती जा रही है। आतंकी संगठन कई बार इनसे हमला करते है, लोगों को मार देते हैं और नुकसान पहुंचाते हैं।

भारतीय सेना प्रमुख ने पिछ्ले साल ड्रोन हमले के खतरे के बारे में बताया था। यह खतरा बहुत ही गंभीर होता है । भारत के यूएवी ड्रोन बेड़े को मजबूत करने की जरूरत पर भी बल दिया था। हालाकि देश के प्रभावी लड़ाकू ड्रोन बनाने के स्वदेशी प्रयास भी चल रहे हैं। चित्रदुर्ग में किया गया परीक्षण भी इसी प्रयास में एक बहुत बड़ा कदम है। इसका साफ मतलब यही है कि भारतीय सेना तीन-चार सालों में स्वदेशी स्टेल्थ ड्रोन की मदद से सीमाओं पर निगरानी भी करेंगे और आतंकियों के अड्डों पर भी हमला करने में सक्षम हो जाएंगे। भारत ड्रोन और यूएवी के मामलों में पाकिस्तान से एक दशक और चीन से काफी ज्यादा पीछे है। पाकिस्तान और चीन लड़ाकू ड्रोन समेत कई हथियारों को विकसित करने और पाने के लिए एक दूसरे की मदद करते रहते हैं , यह बात किसी से छुपी नहीं है। इसीलिए भारत ने रहस्यमई स्टेल्थ ड्रोन घातक बनाया है। पिछले साल ही इसकी तस्वीर सामने आई थी और कुछ परीक्षण भी हुए थे।

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डीआरडीओ के वैज्ञानिकों ने हालांकि अभी इस के आकार, वजन, रेंज आदि के बारे में कोई जानकारी नहीं दी है। लेकिन यह बताया जा रहा है कि यह 30 हजार फीट की ऊंचाई तक जा सकता है। इसके वजन की बात करें तो कम से कम 15 टन से कम है। इस ड्रोन से मिसाइल, बम, प्रोसिशन गाइडेड हथियार दागे जा सकते हैं। इसमें स्वदेशी कावेरी इंजन भी लगा हुआ है। यह 52 किलोन्यूटन की ताकत विमान को मिलती है। अभी जो प्रोटोटाइप है, उसकी लंबाई 4 मीटर है, विंगस्पैन 5 मीटर है, और यह 200 किलोमीटर की रेंज तक जमीन से कमांड हासिल कर सकता है और 1 घंटे तक उड़ान भी भर सकता है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट कर डीआरडीओ को बधाई दी है।

 

 

भविष्य की मानवरहित विमानों के विकास की दिशा में यह उड़ान महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी को साबित करने के मामले में एक बहुत बड़ी उपलब्धि देश ने हासिल की है। बेंगलुरु स्थित एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट इस्टैब्लिशमेंट (ADE)ने बनाया है। यहां एक छोटे टर्बोफैन इंजन से उड़ता है। विमान के लिए उपयोग किए जाने वाले एयरफ्रेम, अंडर कैरिज, संपूर्ण उड़ान नियंत्रण, एवियोनिक्स सिस्टम स्वदेशी है।