Neet: सेम मार्क्स होने के बाद भी आकांक्षा को क्यों दी गई दूसरी रैंक? शोएब रहे फर्स्ट

Ayushi
Published on:

नई दिल्ली : देशभर में 13 सितंबर को आयोजित की गई नीट की परीक्षा का परिणाम कल शाम नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) द्वारा जारी कर दिया गया है। ऐसे में शोएब आफताब ने इस परीक्षा में टॉप किया है जिसमें उन्हें 720 में से 720 अंक प्राप्त हुए हैं। वहीं आकांक्षा सिंह ने भी इस एग्जाम में अपना नाम बनाया है उन्हें भी इसमें 720 में से 720 अंक पूरे मिले है। लेकिन अब सवाल यहां खड़ा हो रहा है कि आखिर इस एग्जाम का रिजल्ट आने के बाद सिर्फ शोएब आफताब का ही नाम क्यों आया है। पुरे सोशल मीडिया पर सिर्फ उन्ही की चर्चा हुई। जबकि आकांक्षा सिंह को भी सेम अंक मिले है। अब लोग ये जानना चाहते है कि आखिर शोएब को ही टॉपर क्यों घोषित किया गया। हम आपको आज इस बारे में बताने जा रहे है कि आखिर शोएब को ही क्यों टॉपर घोषित किया और आकांक्षा का नाम टॉपर में क्यों नहीं लिए गया। लेकिन इससे पहले आपको हम इन दोनों के बारे में बताने जा रहे हैं।

आपको बता दे, शोएब आफताब जिन्होंने इस एग्जाम में टॉप किया है वह उड़ीसा के राउरकेला के रहने वाले हैं। वह बचपन से ही डॉक्टर बनना चाहते थे। जिसकी पढ़ाई के लिए वह कोटा चले गए और कोटा से ही उन्होंने ने नीट की तैयारी की। लगातार डेढ़ साल तक इसकी पढ़ाई उन्होंने बिना छुट्टी के की और इन डेढ़ साल में वह एक भी बार अपने होम टाउन नहीं गए। पढ़ाई को लेकर उनका कहना है कि मेरे परिवार में कोई डॉक्टर नहीं है। मैं बचपन से ही डॉक्टर बनना चाहता था। मुझे मेरे परिवार का बहुत सपोर्ट मिला, खास तौर पर मम्मी जो मेरे साथ हर परिस्थिति में खड़ी रहीं।

वहीं आकांक्षा सिंह की बात करें तो उन्होंने ने भी इस एग्जाम को पूरे नंबरों से टॉप किया है। उन्होंने अपनी एक्जाम की तैयारी दिल्ली से की थी। वह दसवीं के बाद ही दिल्ली चले गई थी अपनी पढ़ाई के लिए। वह डॉक्टर बनना चाहती थी जिसका सपना उन्होंने दिल्ली में रहकर पूरा किया। उनके पिता 1 एयर फोर्स से रिटायर डॉक्टर है। वहीं उनकी माता टीचर है पढ़ाई को लेकर आकांक्षा का कहना है कि दिल्ली में मेरे पिता मेरे साथ रहते थे। ताकि मैं स्कूल की पढ़ाई के साथ-साथ नीट की तैयारी भी कर सकूं और डॉक्टर बन जाऊं।

अब अगर बात टॉपर बनने की करें तो जानते हैं शोएब कैसे टॉपर बने –

जैसा की आप सभी को पता है इन दोनों टॉपर के नंबर सेम है दोनों को ही 720 पूरे अंक मिले है फिर शोएब टॉपर कैसे बने। बता दे, नेशनल टेस्टिंग एजेंसी की टाई ब्रेकर नीति की मदद से इसका निर्धारण किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि अगर दो छात्र के एक समान नंबर आते है तो उस छात्र को तरजीह मिलती है जिसको बायोलॉजी में अधिक नंबर होते हैं और अगर बायो में भी एक समाना अंक आते है तो फिर केमिस्ट्री के नंबर देखे जाते हैं। और अगर टाई की स्थिति आती है तो किसने कम गलत सवाल किए हैं इसको देखा जाता है। इसके अलावा अगर ये मामला भी ठीक हो तो फिर ऐसे में छात्र छात्रा की उम्र देखी जाती है। ठीक ऐसा ही इन दोनों टॉपर के साथ हुआ है। उम्र वाले फैक्टर के चलते शोएब टॉपर बन गए।