मां अहिल्या की नगरी और देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर में महिला लेखन को रेखांकित करने के लिए वामा साहित्य मंच तथा घमासान डॉट कॉम द्वारा एक अत्यंत महत्वपूर्ण और सार्थक आयोजन 14 और 15 मई को इंदौर के अभय प्रशाल में आयोजित होने जा रहा है। यह जानकारी देते हुए साहित्य समागम की चेयर पर्सन पदमा राजेंद्र तथा साहित्य सम्मेलन की सचिव ज्योति जैन एवं घमासान. कॉम की पिनल पाटीदार ने बताया कि पूरे देश का एकमात्र यह अंतरराष्ट्रीय महिला साहित्य समागम है, जिसमें देश की जानी-मानी लेखिकाओं के साथ विभिन्न देशों की लेखिकाएं भी अपनी उपस्थिति दर्ज करवा रही हैं।
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बीते वर्षों में इस आयोजन में उषा किरण खान, डॉ अचला नागर, सुधा अरोड़ा, नेहा शरद जैसी सशक्त हस्ताक्षर इस आयोजन में भागीदारी कर चुकी हैं। इस वर्ष देश की जानी-मानी व्यंग्यकार सूर्यबालाजी, राजकुमारी गौतम (बेल्जियम) शार्दुला नोगजा( सिंगापुर),प्रभा कटियार (,देहरादून) मनीषा कुलश्रेष्ठ (जयपुर) जया सरकार (पुणे) क्षमा कौल (जम्मू-कश्मीर) समीक्षा तेलंग( पुणे) कोपल जैन (बैंगलोर) कांता राय (भोपाल) अंजली चिंतामणि (मॉरीशस) रीना मेनारिया (उदयपुर) नूतन पांडे (केंद्रीय हिंदी निदेशालय नई दिल्ली) श्वेता दीप्ति (नेपाल) तथा डॉक्टर अनुपमा जैन संयुक्त संघ अखिल भारतीय शाह बेहराम बग सोसायटी (मुंबई) की एडिशनल रिप्रेजेंटेटिव भी इस आयोजन में अपनी उपस्थिति दर्ज करवा रही हैं। जो कि विभिन्न सत्रों में विभिन्न विषयों पर अपने विचार रखेंगी।
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साथ ही इस बार विशेष रूप से एक पुरुष सत्र रखा जाएगा जिसमें डॉ. दीपक पांडेय (सहायक निदेशक केंद्रीय हिंदी सचिवालय दिल्ली),डॉ. रामा तक्षक (नीदरलैंड), डॉ राजेंद्र प्रसाद मिश्र (वर्धा) विशेष रुप से उपस्थित रहेंगे,जिसका विषय रहेगा स्त्री लेखन ,पुरुषों की दृष्टि से। अन्य विषय रहेंगे
* अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हिंदी के प्रचार प्रसार में तकनीकी भूमिका.
* प्रवासी और मुख्यधारा साहित्य के मध्य मैत्री सेतु
* स्त्री अस्मिता ,अदम्य जिजीविषा का संघर्ष और महिला लेखन
* अप्रचलित विषय व विधा तथा स्त्री लेखन
* अंतर्राष्ट्रीय भाषा के रूप में हिंदी की स्थापना वैश्विक अपेक्षाएं और वर्तमान स्थिति
* भारतीय संस्कृति का बदलता स्वरूप और भाषायी शुचिता
साथ ही इस आयोजन में हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी एक ऐसी साहित्यकार को अहिल्या शक्ति सम्मान प्रदान किया जाएगा जो शारीरिक रूप से भले ही अक्षम हैं, उनकी जिजीविषा में कहीं कोई कमी नहीं है। यह लेखिका है लखनऊ से कंचन सिंह चौहान जो अस्थि बाधित होने के बावजूद लेखन में संलग्न है।