14 अप्रैल (April) यानी के आज के दिन जैन (Jain) धर्म के लोग महावीर जयंती (Mahavir Jayanti) का उत्सव मनाते है। चैत्र महीने की शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि वाले दिन महावीर जयंती मनाते है। इस दिन जैन धर्म 24 वें तीर्थंकर महवीर स्वामी का जन्मोत्सव मनाया जाता है। जैन धर्म में आज के दिन को बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है। इस दिन भगवान महावीर स्वामी की रथ यात्रा निकाली जाती है। जैन धर्म में ऐसी कई बातें है जिसे सुनकर लोगों के दिमाग में सवाल उठते है। जैसे कि जैन धर्म के लोग आलू-प्याज (Potato-Onion) क्यों नहीं खाते है, सूर्यास्त (Sunset) से पहले खाना क्यों खा लेते है आदि। आज आपको इन सवालों के जवाब पता चल जाएंगे।
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जाने महावीर जयंती का इतिहास
भगवान महावीर का जन्म 599 ईसा पूर्व बिहार के क्षत्रियकुंड में हुआ था। इनके माता-पिता राजा सिद्धार्थ और रानी त्रिशला थे। इनके माता-पिता ने इनका नाम वर्धमान रखा था। महावीर एक शाही परिवार में पैदा हुए थे, लेकिन उसके बाद भी उनको सादा जीवन ही अच्छा लगता था। उनको शाही ठाट-बाट से कभी ख़ुशी नहीं मिली। बचपन से ही उन्हें अपने अंदर की आंतरिक शांति और आध्यात्मिकता की खोज थी। जैसे-जैसे वे बड़े होते गए उन्हें जैन धर्म की मान्यताओं में काफी रूचि होने लगी थी। 30 वर्ष की उम्र में उन्होंने राजा बनने और राजगद्दी पे बैठने से मना कर दिया था और आध्यात्मिक सत्य की खोज में उन्होंने अपने परिवार और राजघराने को छोड़ दिया था। इसके बाद उन्होंने 12 साल से भी ज़्यादा वक्त तक साधारण जीवन जिया था। इसके बाद उन्होंने ‘केवला ज्ञान’ प्राप्त करने से पहले तपस्या की थी। ‘केवला ज्ञान’ का मतलब होता है सर्वोच्च ज्ञान।
इन चीज़ो का करते है त्याग
जैन धर्म में अंहिसा का पाठ सिखाया जाता है। जैन धर्म में के लोग उन चीज़ो का त्याग करते है जिन्हे मिट्टी के नीचे उगाया जाता है। जैसे कि आलू, प्याज, अदरक, लहसुन, चुकन्दर, गाजर, मूली, शकरकंद आदि। जैन लोग का मानना होता है कि मिट्टी के नीचे उगने वाली सब्जियों में कई सारे सूक्ष्मजीव होते हैं। इनका मानना होता है कि अगर हम इन चीज़ो को खाएंगे तो उनके निचे जो जीव है हम उन्हें भी खा लेंगे और ये हिंसा के खिलाफ है। इसके अलावा जो लोग जैन धर्म का पालन करते है वे बैंगन, फूलगोभी, पत्ता गोभी जैसी सब्जियां भी नहीं खाते है। सब्जियों और फलों के अलावा भी बहुत सारी ऐसी चीज़े है जो जैन लोग नहीं कहते जैसे शहद, बीयर, अंजीर, साबूदाना, दही, ब्रेड, मशरूम। कोई भी चीज़ जो फरमेंटिड होती है उसे नहीं खाते है।
क्या खाते है जैन लोग ?
जैन व्यंजन पूरी तरह से लैक्टो-शाकाहारी होता है। जैन धर्म के लोग छोटे कीड़ों और सूक्ष्मजीवों को ना मारने के लिए जड़ और जमीन के अंदर उगाई गई सब्जियों को छोड़ कर सभी चीज़े खाते है।
सूर्यास्त के बाद क्यों नहीं खा सकते ?
जैन धर्म के लोग ‘अहिंसा परमों धर्म’ का पालन करते है और जैन धर्म में सूर्यास्त के बाद खाना खाने को त्याग बताया गया है। ऐसा इसलिए क्यूंकि रात में सूर्यास्त के बाद हम कई तरह की जीवों को देख नही पाते हैं। ऐसे में जीव रात में तेजी से फैलते हैं, इसलिए जैन धर्म के लोग सूर्यास्त के बाद खाना नहीं खाते है।
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