इन्दौर। विश्व होम्योपैथी दिवस के उपलक्ष्य विज्ञान भवन दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में देशभर से एकत्रित होकर होम्योपैथी चिकित्सा विशेषज्ञों द्वारा विचार मंथन जारी है। भारत सरकार ने होम्योपैथी चिकित्सा प्रणाली जैसे अन्य पारम्परिक प्रणालियों के विकास एवं प्रगति के लिए निरंतर प्रयास किए हैं। सरकार के निरंतर प्रयासों के कारण, केंद्र और सभी राज्यों में होम्योपैथी का एक संस्थागत ढाँचा स्थापित हुआ है।
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हानिरहित होम्योपैथी चिकित्सा प्रणाली को और अधिक लोकप्रिय बनाने के लिए केन्द्रीय आयुष राज्य मंत्री डॉ. महेन्द्र मुंजपरा से इंदौर के होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ द्विवेदी ने बात-चीत के दौरान कहा कि होम्योपैथिक चिकित्सा को हर घर तक पंहुचाने की आवश्यकता है। डॉ. ए के द्विवेदी ने आयुष राज्य मंत्री को उनके द्वारा ठीक किए जा रहे, अप्लास्टिक एनीमिया के मरीजों की जानकारी दी जो होम्योपैथिक दवा से ठीक होकर अपना जीवन सामान्य रूप से जी रहें हैं। कोविड-19 के होम्योपैथिक चिकित्सा के प्रति लोगों का बढ़ा विश्वास।
डाॅ. द्विवेदी ने बताया कि, यह दवाओं द्वारा रोगी का उपचार करने की एक ऐसी विधि है, जिसमें किसी स्वस्थ व्यक्ति में प्राकृतिक रोग का अनुरूपण करके समान लक्षण उत्पन्न किया जाता है, जिससे रोग ग्रस्त व्यक्ति का उपचार किया जा सकता है। चिकित्सक, रोगी की शारीरिक और मानसिक स्तर पर सभी अपविन्यास को समझते हुए और लक्षणों के माध्यम से रोगी की वैचारिक छवि बना कर एक प्रतीक समग्रता लाता है और रोगी के लिए सबसे उचित दवा का चयन करता है।
डॉ महेन्द्र मुंजपरा (आयुष राज्य मंत्री) से मीटिंग के दौरान डाॅ. द्विवेदी ने बताया कि, होम्योपैथी मानसिक विकारों, स्व-प्रतिरक्षित बीमारियों, बुढ़ापा और बाल चिकित्सा विकारों, गर्भावस्था के दौरान होने वाली बीमारियों, जटिल त्वचा रोगों, जीवन शैली से सम्बन्धित विकारों और एलर्जी, आदि के उपचार में उपयोगी रही है। होम्योपैथी की, कैंसर, एचआईवीध्एड्स जैसे लाइलाज पुराने मिआदी रोग वाले मरीजों और रुमेटी गठिया आदि जैसी विकलांग बनाने वाली बीमारियों में, जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने में एक सकारात्मक भूमिका के फलस्वरूप इसकी लोकप्रियता दुनिया भर में तेजी से बढ़ रही है।