वामा साहित्य मंच के बैनर तले हुआ पुस्तक विमोचन

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ज़ीवन चलने का नाम

यात्राएँ अनवरत चलनी चाहिए। देश विदेश की छोटी छोटी बातों को किस्सों में ढालकर गागर में सागर भरने का प्रयास है यह पुस्तक। बड़ी ही अद्भुत शैली में लिखी गई है।नवरसों को इसमें स्थान मिला है। काव्य की हर विधा का सम्मिश्रण है यह। बोनसाई का इस्तेमाल करके शांता पारेख ने पुस्तक में अनोखी छटाएं बिखेरी हैं।

उपरोक्त उद्गार व्यक्त किए प्रसिद्ध वरिष्ठ साहित्यकार हरेराम वाजपेयी जी ने। अवसर था साहित्य के क्षेत्र में सबसे आगे चलने वाली वामा साहित्य मंच के बैनर तले वामा की एक वरिष्ठ सदस्या शांता पारेख जी की पुस्तक “सरे राह चलते चलते ” के लोकार्पण का। 73 वर्षीय शांता पारेख वामा साहित्य मंच की सक्रिय सदस्य है।अपने पारिवारिक एवं सामाजिक दायित्व को निभाते हुए पर्यटन में रूचि रखती हैं। उनकी पुस्तक का विमोचन हुआ वामा साहित्य मंच ‘शब्द शक्ति की संवादिनी‘ के सौजन्य से।

दो-तीन सालों से कोरोना के कारण लगे विराम को वामा साहित्य मंच ने लगातार तोड़ते हुए अपनी सक्रियता बनाए रखी और कई सदस्यों की पुस्तकों का एवं साझा संकलनों का विमोचन लगातार करता आ रहा है। वामा साहित्य मंच के बैनर तले आयोजित इस विमोचन आयोजन में सामाजिक कार्यकर्ता डॉ दिव्या गुप्ता अतिथि के रूप में उपस्थित थीं। पुस्तक विमोचन करते हुए उन्होंने कहा कि अपने यात्रा वृत्तांत में से चुनिंदा कहानियों को इस किताब के माध्यम से हमारे सामने प्रस्तुत किया गया है।इसे पढ़ना बहुत ही सुखद है। पंच पंक्ति है “जिंदगी आइसक्रीम की तरह है, इसे खा लो वरना पिघल जाएगी।” संजय पटेल ने बधाई देते हुए कहा किताबें लिखने वाला साहसी होता है। आजकल किताबें मुश्किलदौर से गुजर रही हैं किताबें ऑक्सी सीमीटर काम करती हैं।

अपनी प्रथम पुस्तक पर प्रकाश डालते हुए शांता पारेख ने कहा कि जीवन एक खुला हुआ विश्वविद्यालय है। हमें हमेशा छात्र बने रहना है।जितना भी हम सीखें, कम ही रहता है।लेखन आत्म संतुष्टि प्रदान करता है और हमें सतत सीखने का प्रयास करना चाहिए।

वामा मंच की सदस्य डॉ गरिमा संजय दुबे ने पुस्तक समीक्षा करते हुए कहा कि यह पुस्तक मात्र एक दस्तावेज़ नहीं है वरन रोमांच है, दुस्साहस है, परिवेश का जीवंत चित्रण है।देश विदेश के पर्यटन स्थलों का अत्यंत बारीकी से वर्णन किया है। पुस्तक द्वारा वे पाठकों को यात्रा के दौरान सावधानी रखने की सलाह देती नज़र आती हैं।

वामा अध्यक्षा अमर खनूजा चड्डा ने स्वागत उद्बोधन दिया। सभा में पद्मश्री जनक पलटा,निराह गीते, विना नागपाल, वरिष्ठ साहित्यकार सरोज कुमार कोतुक जी, प्रदीप, नवीन, मुकेश तिवारी व अन्य साहित्यकार भी मौजूद थे।

मंच की सचिव इंदु पाराशर ,संस्थापक पदमा राजेंद्र के साथ-साथ अन्य सभी वामा सदस्य ,गणमान्य नागरिक एवं साहित्य प्रेमियों ने इस कार्यक्रम में शिरकत की। अतिथियों का स्वागत श्री सोहन लाल पारेख ने किया. रोचक पारेख ने शुभकामना संदेश पढ़े. सरस्वती वंदना प्रस्तुत की शोभा प्रजापति ने। कार्यक्रम का संचालन किया प्रीति दुबे ने ।आभार माना सोनाली पारेख ने।