कांग्रेस: कांटे से कांटा निकालने की चाल

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दिनेश निगम ‘त्यागी’

उप चुनाव के लिए प्रत्याशी घोषित करने के मामले में कांग्रेस ने बाजी मार ली। संभवत: यह पहला अवसर होगा जब उप चुनाव का कार्यक्रम घोषित नहीं हुआ और पार्टी ने प्रत्याशियों का एलान कर दिया। सूची को देखकर लगता है कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने कांटे से कांटा निकालने की चाल चली है। अर्थात कई सीटों में कांग्रेस के बागियों का मुकाबला भाजपा, बसपा के बागियों से होगा। सूची में कमलनाथ की कसरत झलकती है। चंबल-ग्वालियर अंचल की कुछ सीटों में कांग्रेस ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के उन समर्थकों पर भरोसा किया है जो सिंधिया के साथ पार्टी छोड़कर नहीं गए। बहरहाल, भाजपा मैदान में है ही, कांग्रेस ने प्रत्याशियों की घोषणा के साथ चुनावी दुंदुभी बजा दी है। सूची में फूल सिंह बरैया, कन्हैयालाल अग्रवाल, प्रेमचंद गुड्डू को जगह मिल गई है लेकिन चौधरी राकेश सिंह पर फैसला अटका हुआ है।

इमरती का होगा अपने समधी से मुकाबला….

प्रदेश की डबरा सीट में इस बार रोचक मुकाबला देखने को मिलेगा। कांग्रेस ने यहां से महिला बाल विकास मंत्री इमरती देवी के समधी सुरेश राजे को टिकट दिया है। राजे किसी जमाने में डबरा में भाजपा के बड़े नेता थे। 2013 में भाजपा ने उन्हें अपनी समधन कांग्रेस की इमरती देवी के सामने मैदान में उतारा था। इस चुनाव में इमरती ने सुरेश राजे को लगभग 32 हजार वोट से हराया था। 2018 में सुरेश राजे को भाजपा ने नजर अंदाज किया तो वे पार्टी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए। 2018 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने अपनी समधन इमरती देवी का जमकर प्रचार किया। इमरती ने इस चुनाव में शानदार जीत हासिल की थी। इस बार राजे ने इमरती के साथ कांग्रेस नहीं छोड़ी, लिहाजा अब वे कांग्रेस के टिकट पर इमरती का मुकाबला करेंगे।

बागियों में कन्हैया, गुड्डू, बरैया को टिकट….

पहली सूची में कांग्रेस ने भाजपा के जिन बागियों पर भरोसा कर मैदान में उतारा है, वे मजबूत प्रत्याशियों में शुमार हैं। बमोरी से कांग्रेस ने कन्हैयालाल अग्रवाल को टिकट दिया है और सांवेर से प्रेमचंद गुड्डू को। भांडेर में कांग्रेस के बागी का मुकाबला फूल सिंह बरैया करेंगे। हालांकि वे भाजपा से नहीं आए। कन्हैया भाजपा छोड़ कांग्रेस में आए हैं। भाजपा सरकार में वे राज्यमंत्री रहे हैं। 2018 के विधान सभा चुनाव में उन्हें भाजपा ने टिकट नहीं दिया तो उन्होंने बगावत कर दी थी। निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़कर 28 हजार वोट हासिल किए थे और भाजपा की हार का कारण बने थे। प्रेमचंद गुड्डू कांग्रेस से नाराज होकर भाजपा में गए थे लेकिन फिर भाजपा छोड़कर पार्टी में वापसी कर ली। सांवेर में वे सिंधिया के खास जलसंसाधन मंत्री तुलसी सिलावट क मुकाबला करेंगे। गुड्डू इससे पहले विधानसभा के साथ लोकसभा का चुनाव भी जीत-हार चुके हैं। बताया बसपा के चेहरा रहे हैं और खुद की पार्टी बना कर भी जोर आजमाइश कर चुके हैं।

बसपा से आए इन तीन बागियों पर भरोसा….

– कांग्रेस ने बसपा छोड़कर आए बागियों को भी नवाजा है। करैरा से प्रागीलाल जाटव को टिकट दिया गया है। इन्होंने पिछला चुनाव बसपा की ओर से लड़ा था और कुछ समय पहले ही कांग्रेस में शामिल हुए हैं। दिमनी से 2008 में बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ चुके रवींद्र सिंह तोमर को प्रत्याशी बनाया गया है। तोमर बसपा से भाजपा में गए लेकिन 2013 में टिकट न मिलने पर कांग्रेस में आ गए। तोमर ने 2013 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा और बसपा से 2500 वोटों से हार गए। रवींद्र की गिनती सिंधिया समर्थकों में होती है लेकिन वे उनके साथ नहीं गए। अंबाह से कांग्रेस के टिकट पर सत्यप्रकाश सखवार चुनाव लड़ेंगे। सखवार 2013 में बसपा के टिकट पर 10 हजार वोटों से विधानसभा चुनाव जीते थे। मायावती ने उन्हें बसपा प्रदेश अध्यक्ष बना दिया था। 2018 में वे फिर बसपा से विधानसभा का चुनाव लड़े और हार गए। 2019 में लोकसभा चुनाव के दौरान उन्होंने कांग्रेस का दामन थाम लिया था। इनके अलावा बरैया काफी पहले बसपा में रहे हैं।

ग्वालियर में सिंधिया समर्थकों में मुकाबला….

ग्वालियर सीट से कांग्रेस ने प्रदेश के ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर के सामने सुनील शर्मा को मैदान में उतारा है। तोमर सिंधिया के खास हैं ही, वे उनके साथ पार्टी छोड़कर भाजपा में गए हैं। सुनील शर्मा की गिनती भी सिंधिया समर्थक नेताओं में होती है। इस तरह इस सीट में दो सिंधिया समर्थकों के बीच मुकाबला होगा। सुनील पार्टी के प्रदेश महासचिव हैं और ग्वालियर विधानसभा क्षेत्र के युवा ब्राह्मण चेहरा। क्षेत्र में करीब 35 हजार ब्राह्मण मतदाता हैं। सुनील सिंधिया के कट्टर समर्थक के साथ निष्ठावान पक्के कांग्रेसी भी हैं। इसलिए सिंधिया के जाने के बाद भी उन्होंने पार्टी नहीं छोड़ी। 2018 के विधानसभा चुनाव में भी उन्होंने टिकट मांगा था, लेकिन सिंधिया ने प्रद्युम्न को टिकट दिलवा दिया था।

कांग्रेस के ये प्रत्याशी भी कमजोर नहीं….

कांग्रेस ने अशोकनगर सीट पर कांग्रेस की आशा दोहरे को प्रत्याशी बनाया है। इन्हें राजनीति में लाने का श्रेय इनकी सास अनीता जैन को जाता है। अनीता नगर पालिका से 4 बार पार्षद और एक बार नगर पालिका अध्यक्ष का चुनाव लड़ चुकी हैं। गोहद से कांग्रेस ने मेवाराम जाटव पर भरोसा जताया है। वर्ष 2013 में इन्होंने विधानसभा चुनाव लड़ा था लेकिन भाजपा के लाल सिंह आर्य से हार गए थे। मालवा के नेपानगर से राम किशन पटेल को टिकट मिला है। वे कोरकू जाति के हैं। रामकिशन 2008 में इसी सीट पर भाजपा के राजेंद्र दादू से महज 1500 वोटों से हार गए थे। ये पहले सिंधिया के करीब थे, अब अरुण यादव के साथ हैं। हाट पिपल्या सीट पर राजवीर सिंह बघेल कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ेंगे। वे सोनकच्छ नगर पालिका अध्यक्ष हैं। इनके पिता राजेन्द्र सिंह बघेल पूर्व में हाटपिपल्या से कांग्रेस से दो बार विधायक रह चुके हैं। इंदौर के रहने वाले विपिन वानखेड़े आगर मालवा सीट से फिर चुनाव लड़ेंगे। 2018 में भी कांग्रेस ने इन्हें टिकट दिया था लेकिन भाजपा के दिग्गज स्वर्गीय मनोहर ऊंटवाल से मात्र 2490 वोटों के अंतर से हार गए थे। वानखेड़े एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष हैं और दिग्विजय के विधायक बेटे राजवर्धन सिंह के नजदीक। वे क्षेत्र में लगातार सक्रिय हैं। साफ है कांग्रेस ने अच्छी चुनौती देने की कोशिश की है।