आज सोमवार, माघ शुक्ल पक्ष षष्ठी/सप्तमी तिथि है।
आज अश्विनी नक्षत्र, “आनन्द” नाम संवत् 2078 है
( उक्त जानकारी उज्जैन के पञ्चाङ्गों के अनुसार है)
-उज्जैन के पञ्चाङ्गों के अनुसार नर्मदा जयन्ती, अचला सप्तमी, रथ सप्तमी ” कल मंगलवार” को है।
-इस पृथ्वी पर नर्मदा नदी ही एकमात्र ऐसी है, जो हर अवतरण के बाद सात कल्पों तक प्रवाहित रही।
-नर्मदा ऑंचल का हर कंकर शंकर है।
-नर्मदेश्वर लिंग की प्राण प्रतिष्ठा नहीं होती है। स्वयं प्राण प्रतिष्ठित होते हैं।
-नदियों में श्रेष्ठ नर्मदा रुद्र के शरीर से निकली है। यह स्थावर और जङ्गम सभी जीवों का उद्धार करती है।
-नर्मदा नदी किसी कल्प में 100 योजन लम्बी और 2 योजन चौड़ी थीं। (एक योजन 12. 8 किलोमीटर होता है।)
-जो मानव अमरकण्टक पर्वत की प्रदक्षिणा करता है, वह पौण्डरीक यज्ञ का फल प्राप्त करता है। (मत्स्य पुराण अ.188)
-अमरकण्टक पर्वत ऋषि गणों की तपस्या स्थली है।
-अमरकण्टक पर्वत पर रुद्र कोटि की अर्चना करने का अत्यधिक विशेष महत्त्व है।
-नर्मदा – कावेरी सङ्गम तीर्थ पर ही कुबेर को सिद्धि प्राप्त हुई थी और यक्षों का अधीश्वर बनने का शिवजी से वरदान मिला था।
-नमः पुण्यजले ह्याद्ये नमः सागर गामिनि।
नमस्ते पाप निर्दाहे नमो देवि वरानने।।
नमोऽस्तु ते ऋषिगण सिद्ध सेविते
नमोऽस्तु ते शंकर देहनि:सृते।
नमोऽस्तु ते धर्मभृतां वरप्रदे
नमोऽस्तु ते सर्वपवित्र पावने।।