Lata Mangeshkar: महान गायिका बनने के बाद भी लता दीदी को था इस बात का दुख, ये थी वजह

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Lata Mangeshkar : भारत रत्न और मशहूर गायिका लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) का आज निधन हो गया है। जिसके चलते सभी फैंस को बॉलीवुड इंडस्ट्री में शोक की लहर है। बताया जा रहा है कि वह वेंटिलेटर पर थी जिसके बाद आज सुबह सबकी चहेती और भारत की स्वर कोकिला लता मंगेशकर का निधन हो गया है। उनकी उम्र 92 साल की थी। उनकी मौत से आज सभी को बड़ा सदमा लगा है।

वहीं लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) की आवाज के कई लोग दीवाने है। उनकी आवाज ने करोड़ों लोगों को दीवाना बनाया है। उन्होंने अपनी आवाज का जादू सभी जगह चलाया है। वो अपनी प्रोफेशनल लाइफ में सबसे सफल सिंगर रहीं। लता जी 50 से 60 के दशक में गाए उनके गाने आज भी लोगों की जुबान पर रहते हैं और उनकी आवाज का जादू ही है कि उन्हें स्वर कोकिला भी कहा गया। हालांकि भारत की महान गायिका बनने के बाद भी लता जी को एक बात का दुख हमेशा रहा।

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लता मंगेशकर ने अपना पूरा जीवन संगीत को समर्पित कर दिया था। उनकी पहचान भारतीय सिनेमा पार्श्व गायिका के रूप में रही। वहीं जानकारी के लिए बता दें लता मंगेशकर के पिता जी एक क्लासिकल गायक थे, जिसके चलते लता जी ने बहुत छोटी उम्र से ही शास्त्रीय संगीत सीखना शुरु कर दिया था। वहीं लता जी अपने जीवन से बहुत खुश थी और किसी भी बात का अफसोस नहीं रहा। लेकिन सिनेमा में गाने के चलते लता जी को इस बात का दुख जरुर रहा कि शास्त्रीय संगीत से वह दूर हो गईं।

लता मंगेशकर

जब Lata Mangeshkar का पहला गाना फिल्म से हटा दिया था
स्वर सम्राज्ञी लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) ने अपने गायिका के कॅरियर की शुरूआत वर्ष 1942 में एक मराठी फिल्म किती हासिल से की थी। इसमें उन्होंने अपना पहला गीत गाया तो था लेकिन बाद में इस गाने को हटा दिया गया। हालांकि इस घटना के करीब पांच सालों बाद ही फिल्मों में अपने गायन की शुरूआत वे कर सकी थी।

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पतली आवाज लगती थी निर्देशकों को
जिस वक्त लता ने फिल्मों में गायकी के लिए प्रवेश किया था उस वक्त शमशाद बेगम, नूरजहां जैसी गायिकाओं का वर्चस्व था, बावजूद इसके उन्होंने अपना भाग्य आजमाया तो सही लेकिन फिल्मों के निर्देशकों को उनकी आवाज पतली लगती थी और इस कारण उन्हें अपना सफर तय करने में परेशानी का भी सामना कई बार करना पड़ा।