जिस प्रकार सूरज बादलों की ओट में आ जाता है और बादल हटते ही पुन: प्रकट हो जाता है उसी तरह हमारे मन में भी क्षमा, त्याग, नम्रता, अहंकार, वासना के आवरण को हटाना होगा। भक्त और भगवान के बीच ज्यादा अंतर नहीं होता है। आपमें वह सब है जो परमात्मा में है। अध्यात्म जगत में कोई भी चीज पैदा नहीं करनी है केवल प्रकट करना है। सामने वाले को क्या करना चाहिए यह मत सोचो वरन यह सोचो मुझे क्या करना है। उक्त विचार शुक्रवार को तिलक नगर स्थित तिलकेश्वर पाश्र्वनाथ श्वेताम्बर जैन मंदिर में आयोजित पांच दिवसीय प्रवचन श्रृंखला के तृतीय दिवस पर आचार्यश्री विजय कुलबोधि सूरीश्वरजी मसा ने सभी श्रावक-श्राविकाओं को प्रवचनों की अमृत वर्षा करते हुए व्यक्त किए।
श्री नीलवर्णा पाश्र्वनाथ मूर्तिपूजक ट्रस्ट अध्यक्ष विजय मेहता एवं कल्पक गांधी ने बताया कि शुक्रवार को हजारों की संख्या मेें श्वेताम्बर जैन समाज बंधु पहुंचे थे। वहीं प्रवचनों की पश्चात आचार्यश्री ने सभी श्रावक-श्राविकाओं को महा मांगलिक भी सुनाई। महामांगलिक के पश्चात सभी जैन बंधुओं ने आचार्यश्री का आशीर्वाद भी लिया। कार्यक्रम के पश्चात ट्रस्ट मंडल द्वारा वरिष्ठ समाजसेवियों का बहुमान भी किया गया।
चातुर्मास समिति संयोजक कल्पक गांधी ने बताया कि शनिवार को आचार्य विजय कुलबोधि सूरिश्वरजी मसा तिलक नगर स्थित महावीर नगर जैन स्थानक भवन में नहीं एसो जनम बारबार विषय पर सुबह सुबह 9.15 से 10.15 बजे तक श्रावक श्रविकाओं को प्रवचनों की अमृत वर्षा करेंगे। वहीं इसी के साथ 10 से 12 जून अनुराग नगर श्रीसंघ, 13 से 14 जून विजय नगर श्रीसंघ, 15 से 16 जून सुखलिया, 17 से 18 जून क्लर्क कालोनी, 19 से 21 जून वल्लभ नगर, 22 से 23 जून पत्थर गोदाम, 24 से 29 जून रेसकोर्स रोड़, 30 जून राऊ एवं 1 से 3 जून जानकी नगर श्रीसंघ में आचार्यश्री का मंगल प्रवेश होगा।