देहरादूनः खलंगा के संरक्षित वन क्षेत्र पर भू-माफिया की नजर

उत्तराखंड के खलंगा के हजारों साल पुराने जंगलों पर अतिक्रमण का खतरा मंडरा रहा है, जहां एक निजी व्यक्ति ने कैम्पिंग प्रोजेक्ट के नाम पर अवैध रूप से तारबाड़ और गेट लगा दिए हैं। वन विभाग को इसकी जानकारी तक नहीं है, जिससे क्षेत्र की जैविक विरासत पर गंभीर संकट खड़ा हो गया है।

Srashti Bisen
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प्रकृति की धरोहर बन चुके खलंगा के जंगल आज अस्तित्व के सबसे बड़े संकट से जूझ रहे हैं। खलंगा मार्ग स्थित हल्दूआम क्षेत्र में लगभग चार से पांच हजार साल पुराने वृक्षों से सजे चालीस बीघा संरक्षित वन क्षेत्र पर अतिक्रमण की आशंका गहराने लगी है। जानकारी के अनुसार, हरियाणा निवासी अनिल शर्मा ने इस घने वन क्षेत्र को ऋषिकेश निवासी अशोक अग्रवाल से लीज पर लेने का दावा करते हुए तारबाड़ व गेट लगा दिए हैं। उनका कहना है कि वे यहां कैम्पिंग प्रोजेक्ट विकसित करना चाहते हैं।

चौंकाने वाली बात यह है कि इस पूरे मामले की भनक वन विभाग को तक नहीं है। संपर्क करने पर डीएफओ अमित तंवर ने बताया कि उन्हें ऐसी किसी गतिविधि की जानकारी नहीं है, लेकिन वह तुरंत टीम भेजकर जांच करवाएंगे।

यह सवाल बेहद गंभीर है कि बिना किसी वैध कागजात, रजिस्ट्री या पर्यावरणीय योजना के आखिर कैसे हजारों साल पुराने वृक्षों के बीच निर्माण की योजना बनाई जा सकती है? अगर यह प्रोजेक्ट आगे बढ़ा, तो उत्तराखंड की एक अमूल्य जैविक विरासत का नामोनिशान मिट सकता है।