
इंदौर में गुरुवार को केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश के कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने बंद कमरे में करीब 18 मिनट तक चर्चा की। इस दौरान केंद्रीय राज्यमंत्री सावित्री ठाकुर बाहर इंतजार करती रहीं, जबकि अंदर दोनों वरिष्ठ नेता एकांत में वार्ता कर रहे थे। बैठक में किस विषय पर बातचीत हुई, इसकी आधिकारिक जानकारी फिलहाल सामने नहीं आई है। उल्लेखनीय है कि शिवराज सिंह चौहान इंदौर में सोयाबीन हितग्राहियों से संवाद कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे थे।
BJYM के दिनों की पुरानी साझेदारी
शिवराज सिंह चौहान और कैलाश विजयवर्गीय ने लगभग एक ही दौर में राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी और दोनों ने भारतीय जनता युवा मोर्चा (BJYM) में पदाधिकारी के रूप में कार्य किया। विजयवर्गीय ने प्रदेश की राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाई, विधायक बने और इंदौर के महापौर पद तक पहुंचे। दूसरी ओर, शिवराज सिंह चौहान ने राष्ट्रीय राजनीति में पहचान बनाई, विदिशा से सांसद चुने गए और भारतीय जनता पार्टी के संसदीय सचिव के रूप में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाई।

कृषि मंत्री को सौंपी गई हस्तनिर्मित पेंटिंग
इंदौर में शिवानी हर्षित गुप्ता ने पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को अपनी हस्तनिर्मित पेंटिंग भेंट की। शिवानी ने बताया कि मुख्यमंत्री रहते हुए शिवराज सिंह चौहान की स्वरोजगार योजना के तहत उन्होंने लोन लेकर बुटीक व्यवसाय की शुरुआत की थी। वर्ष 2014 में उन्होंने 5 लाख रुपये का लोन लिया था, और आज वह 5 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट पर काम कर रही हैं।
राज्यमंत्री को करना पड़ा इंतजार
इंदौर के सोयाबीन अनुसंधान केंद्र में केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान और कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने बंद कमरे में करीब 18 मिनट तक अहम चर्चा की। इस दौरान विधायक मधु वर्मा, मनोज पटेल और भाजपा नेता सावन सोनकर पास के कक्ष में मौजूद थे, जबकि केंद्रीय राज्यमंत्री सावित्री ठाकुर बैठक कक्ष के बाहर प्रतीक्षा करती रहीं। अधिकारियों द्वारा जब यह जानकारी शिवराज सिंह चौहान को दी गई, तो उन्होंने ठाकुर से कुछ मिनट और इंतजार करने का आग्रह किया। गौरतलब है कि दोनों वरिष्ठ नेता दोपहर 3 बजकर 13 मिनट पर कमरे में गए और करीब 3 बजकर 30 मिनट पर बाहर निकले।
ट्रैक्टर की ड्राइविंग सीट पर नजर आए शिवराज
इंदौर स्थित सोयाबीन अनुसंधान केंद्र के खेतों में केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ट्रैक्टर चलाकर खेतिहर जीवन से अपने जुड़ाव का परिचय दिया। उन्होंने कहा, “मैं केवल कृषि मंत्री नहीं, बल्कि खुद एक किसान हूं। मेरे हर रोम में किसान बसता है और हर सांस में खेती की भावना है।” उन्होंने बताया कि देशभर के कृषि वैज्ञानिक, कृषि विज्ञान केंद्रों के प्रतिनिधि, एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटीज और केंद्र व राज्य सरकार के अधिकारी इस अवसर पर इंदौर में एकत्र हुए हैं। चौहान ने ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ का जिक्र करते हुए कहा कि हमारा उद्देश्य लैब के अनुसंधानों को किसानों तक पहुंचाना है। इसके तहत वैज्ञानिकों और अधिकारियों को गांवों में भेजा गया है। उन्होंने कहा कि आज सोयाबीन की उत्पादकता को लेकर गंभीर चर्चा की जाएगी, ताकि इसकी गुणवत्ता और उत्पादन में सुधार हो और देश को तेल के लिए आयात पर निर्भर न रहना पड़े।
शिवराज की सियासी पकड़ में दिखी नई मजबूती
2003 में उमा भारती के नेतृत्व में भाजपा को मिली जीत के बाद कैलाश विजयवर्गीय को उनके मंत्रिमंडल में स्थान मिला। हालांकि, 2004 में एक लंबित मामले के कारण उमा भारती को इस्तीफा देना पड़ा और बाबूलाल गौर ने मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी संभाली। इसी दौरान शिवराज सिंह चौहान को पार्टी की मध्य प्रदेश इकाई का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। गौर के कार्यकाल में संगठन के भीतर असंतोष बढ़ा, जिसके चलते नवंबर 2005 में उन्हें हटाकर शिवराज सिंह चौहान को मुख्यमंत्री बनाया गया। उधर, उमा भारती ने भाजपा से नाता तोड़ते हुए अपनी नई पार्टी का गठन किया।
हालांकि कैलाश विजयवर्गीय शिवराज सिंह चौहान की सरकार में वरिष्ठ मंत्री के रूप में शामिल रहे, लेकिन समय के साथ दोनों के संबंधों में दूरी बढ़ने लगी। चौहान के मुख्यमंत्री पद पर प्रभाव बढ़ने के साथ ही विजयवर्गीय को अक्सर उनके संभावित उत्तराधिकारी के रूप में देखा जाने लगा।
पार्टी के भीतर उत्पन्न हो रहे तनाव को संतुलित करने के उद्देश्य से भाजपा नेतृत्व ने कैलाश विजयवर्गीय को राष्ट्रीय राजनीति में स्थानांतरित किया। उन्हें पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के नेतृत्व में राष्ट्रीय महासचिव नियुक्त किया गया। यह कदम रणनीतिक रूप से उठाया गया था, ताकि मध्य प्रदेश में उनकी बढ़ती राजनीतिक सक्रियता को सीमित किया जा सके।