इंदौर-उज्जैन मेट्रो को मिलेगी रफ्तार, 20 हेक्टेयर में बनेगा आधुनिक डिपो, सरकारी जमीन की तलाश में मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन

इंदौर-उज्जैन मेट्रो परियोजना के लिए मेट्रो डिपो निर्माण हेतु लगभग 20 हेक्टेयर भूमि की आवश्यकता है, जिसके लिए रेवती क्षेत्र को उपयुक्त माना गया है। पर्याप्त सरकारी भूमि न मिलने के कारण निजी भूमि पर भी विचार हो रहा है।

Abhishek Singh
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इंदौर और उज्जैन के बीच परिवहन को और अधिक सुगम व तीव्र बनाने के लिए इंदौर-उज्जैन मेट्रो परियोजना पर तेज़ी से काम किया जा रहा है। इस योजना के अंतर्गत मध्यप्रदेश मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन द्वारा लगभग 20 हेक्टेयर (करीब 49.7 एकड़) भूमि पर मेट्रो डिपो निर्माण का प्रस्ताव तैयार किया गया है।

इंदौर व उज्जैन के आसपास पर्याप्त सरकारी भूमि न होने की वजह से डिपो के लिए सांवेर के नजदीक रेवती क्षेत्र को उपयुक्त विकल्प माना जा रहा है। हालांकि कॉर्पोरेशन निजी जमीन के विकल्पों पर भी विचार कर रहा है, लेकिन प्राथमिकता सरकारी भूमि के उपयोग को दी जा रही है।

कॉर्पोरेशन के लिए निजी भूमि की तुलना में सरकारी जमीन प्राप्त करना अपेक्षाकृत सरल प्रक्रिया है। सरकार आवश्यकता अनुसार किसी अन्य विभाग की भूमि कॉर्पोरेशन को आवंटित कर सकती है और उस विभाग को वैकल्पिक स्थान पर जमीन दी जा सकती है। दूसरी ओर, निजी भूमि अधिग्रहण में कई जटिलताएं होती हैं। इतनी बड़ी भूमि एक ही स्थान पर उपलब्ध नहीं होती, और इसे कई किसानों से मिलाकर जुटाना पड़ता है, जिसमें सहमति लेने में समय लगता है। इसके बाद मुआवज़े की प्रक्रिया भी अपनानी होती है, जिससे परियोजना की गति प्रभावित हो सकती है। कॉर्पोरेशन के अधिकारियों का कहना है कि डिपो निर्माण के लिए भूमि की तलाश जारी है, और इसके लिए रेवती क्षेत्र को प्रस्तावित किया गया है।

135 की स्पीड से दौड़ेगी मेट्रो

इंदौर और उज्जैन के बीच मेट्रो का संचालन हाइब्रिड मोड में किया जाएगा, जिसकी गति 135 किलोमीटर प्रति घंटा होगी। फिलहाल इस प्रकार की प्रणाली का उपयोग दिल्ली एयरपोर्ट एक्सप्रेस लाइन में किया जा रहा है। पूर्व में सिंहस्थ से पहले इंदौर-उज्जैन मेट्रो शुरू करने की योजना थी, लेकिन लगभग 10 हजार करोड़ रुपये की अनुमानित लागत राज्य सरकार के लिए जुटा पाना चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है। इसी कारण यह परियोजना सिंहस्थ से पहले पूरी होना संभव नहीं लग रहा है।

डीपीआर निर्माण की जिम्मेदारी दिल्ली मेट्रो के विशेषज्ञों को

इंदौर-उज्जैन मेट्रो परियोजना के लिए डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करने की जिम्मेदारी दिल्ली मेट्रो के अधिकारियों को सौंपी गई है। यह रिपोर्ट जुलाई से अगस्त के बीच अंतिम रूप ले लेगी। इसमें परियोजना की कुल लागत, वित्तीय व्यवस्था, रूट अलाइनमेंट, डिपो निर्माण, स्टेशनों की योजना, भूमिगत मार्ग समेत अन्य तकनीकी और ढांचागत पहलुओं का विस्तृत विश्लेषण किया जा रहा है। पूरे प्रोजेक्ट पर लगभग 10 हजार करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है।

इंदौर-उज्जैन रूट पर बनेंगे 8 मेट्रो स्टेशन

इंदौर से उज्जैन के बीच प्रस्तावित मेट्रो रेल परियोजना के तहत स्टेशन की संख्या और रूट अलाइनमेंट तय कर लिया गया है। कुल 47 किलोमीटर लंबे इस कॉरिडोर में आठ स्टेशन बनाए जाएंगे। पहला स्टेशन लवकुश चौराहा और अंतिम स्टेशन महाकाल लोक के सामने प्रस्तावित है। पूरे रूट का लगभग 70 प्रतिशत हिस्सा सड़क की मध्य रेखा (सेंट्रल लाइन) के अनुरूप तैयार किया जाएगा।