7 अक्टूबर से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो गई है। नवरात्रि के दौरान मां के 9 रूपों की पूजा- अर्चना की जाती है। नवरात्रि के दूसरे दिन मां के द्वितीय स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी की पूजा- अर्चना की जाती है। मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से व्यक्ति को अपने कार्य में सदैव विजय प्राप्त होता है। मां ब्रह्मचारिणी दुष्टों को सन्मार्ग दिखाने वाली हैं। मान्यता है कि सच्चे मन से मां की आराधना करने वाले भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
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वहीं 9 नवंबर यानी कल विशेष योग बन रहा है। 9 नवंबर को तृतीया और चतुर्थी तिथि एक ही दिन है। इस बार शारदीय नवरात्रि 8 ही दिन की हैं। तृतीया तिथि पर मां के तृतीय स्वरूप मां चंद्रघंटा और चतुर्थी तिथि पर मां के चतुर्थ स्वरूप मां कूष्माण्डा की पूजा- अर्चना की जाती है। इस बार माता चंद्रघंटा और माता कूष्माण्डा की पूजा एक ही दिन की जाएगी। 9 अक्टूबर का दिन बेहद शुभ रहने वाला है।
माता चंद्रघंटा:
माता का तीसरा रूप मां चंद्रघंटा शेर पर सवार हैं। दस हाथों में कमल और कमडंल के अलावा अस्त-शस्त्र हैं। माथे पर बना आधा चांद इनकी पहचान है। इस अर्ध चांद की वजह के इन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनसार, मां चंद्रघंटा की पूजा-अर्चना करने से भक्त निर्भय और सौम्य बनता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, मां चंद्रघंटा की पूजा करने से चंद्रमा की स्थिति सुधरती है।
इस विधि से करें पूजा-अर्चना
-सुबह उठकर स्नान करने के बाद पूजा के स्थान पर गंगाजल डालकर उसकी शुद्धि कर लें।
-घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
-मां दुर्गा का गंगा जल से अभिषेक करें।
-मां को अक्षत, सिन्दूर और लाल पुष्प अर्पित करें, प्रसाद के रूप में फल और मिठाई चढ़ाएं।
-धूप और दीपक जलाकर दुर्गा चालीसा का पाठ करें और फिर मां की आरती करें।
-मां को भोग भी लगाएं। इस बात का ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है।
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