आज रविवार, मार्गशीर्ष शुक्ल प्रतिपदा तिथि है। आज ज्येष्ठा नक्षत्र, “आनन्द” नाम संवत् 2078 है
( उक्त जानकारी उज्जैन के पञ्चाङ्गों के अनुसार है)
-अग्निवास क्या होता है? इस सम्बन्ध में सैकड़ों प्रश्न मेरे पास आए।
-यदा-कदा हवन, यज्ञ करने के लिए मुहूर्त्त अत्यन्त आवश्यक है।
-इसके लिए अग्निवास देखना होता है।
-जब भी हवन या यज्ञ कराना हो, उस मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से लेकर हवन, यज्ञ होने वाले दिन तक की तिथि की संख्या और उसमें वार की संख्या जोड़कर एक और जोड़ें। उस संख्या में 4 का भाग दें। शेष 0 या 3 बचे तो अग्नि का वास पृथ्वी पर शुभ कहा गया है। 1 शेष बचे तो अग्निवास आकाश में होता है और वह प्राण की हानि करता है। 2 शेष बचे तो अग्नि का पाताल में वास होता है, जो धन की हानि करता है।
-इसलिए जब अग्नि का वास पृथ्वी पर हो, तभी हवन या यज्ञ कराना चाहिए।
-इसके साथ शुभ तिथि, शुभ वार आदि भी देखा जाता है।
-नवरात्र, पर्व, व्रत उद्यापन का हवन करने में अग्निवास नहीं देखा जाता है।
-अनेक जिज्ञासु छोटी-छोटी बातों के प्रश्न मुझसे करते हैं। सभी से मेरा विनम्र आग्रह है कि वह अपने निकटतम विद्वानों से सम्बन्धित प्रश्नों का समाधान कर लें।
-इसके बावजूद प्रश्न का समाधान ना हो तो ही मुझसे अपनी जिज्ञासा प्रकट करें।
विजय अड़ीचवाल