विहान

Share on:

बंद कमरे की
खिड़कियां खोल दे ,
कब तक बैठा रहेगा
कुछ गमलों में पौधे
उगा कर ।
खोल दे
कपाट अंतस के
कर स्वागत
प्राची से उदित होते
आदित्य का ,
भर जाएगा
तेरा ह्दय
प्रकाश से ।

    धैर्यशील येवले इंदौर ।