आज बुधवार, मार्गशीर्ष शुक्ल पंचमी तिथि है। आज श्रवण नक्षत्र, “आनन्द” नाम संवत् 2078 है।
( उक्त जानकारी उज्जैन के पञ्चाङ्गों के अनुसार है)
-आज विवाह पंचमी , श्री पंचमी है।
-आज के दिन राम – जानकी विवाह जनकपुर में सम्पन्न हुआ था।
-आज के दिन श्रीकृष्ण – रुक्मिणि विवाह माधवपुर (गुजरात) में सम्पन्न हुआ था।
-आज नाग दिवाली भी है। (स्कन्द-पुराण)
-आज श्रीबांके बिहारी प्राकट्य दिवस भी है।
-जिस सप्तमी तिथि को हस्त नक्षत्र हो या रविवार हो या सूर्य संक्रान्ति हो तो वह तिथि समस्त कामनाओं को पूर्ण करने वाली होती है।
-यदि पञ्चक लगने के पूर्व मृत्यु हो गई हो और दाह संस्कार पञ्चक में हो तो सिर्फ पुत्तलों का विधान करें।
-यदि मृत्यु भी पञ्चक में हुई हो और अन्त्येष्टि भी पञ्चक में हो तो पुत्तला दाह तथा शान्ति दोनों कर्म करना चाहिए। ( धर्म सिन्धु, निर्णय सिन्धु)
-पञ्चक शान्ति सपिण्डीकरण के पूर्व एकादशा अथवा द्वादशा को करना चाहिए।
-कपाल क्रिया के बाद अन्त्येष्टि करने वाले को जोर से रोना चाहिए। इससे मृत प्राणी को सुख मिलता है। (गरुड़ पुराण सारोद्धार 10/59)
-कपाल क्रिया के बाद अन्त्येष्टि कर्ता एक – एक समिधा (एक वित्ते की यज्ञीय लकड़ी) लेकर चिता की सात प्रदक्षिणा करे और प्रदक्षिणा के अन्त में “क्रव्यादाय नमस्तुभ्यं” कहकर एक-एक समिधा चिता में डालता जाए।
-यदि गङ्गा किनारे अन्त्येष्टि की गई हो तो दाह – संस्कार के बाद अस्थियों को तत्काल गङ्गा में प्रवाहित कर देना चाहिए। अस्थि संचयन की आवश्यकता नहीं रहती है।
-मृत्यु के बाद 10 दिनों के भीतर गङ्गा में अस्थि प्रवाहित कर देना चाहिए।
विजय अड़ीचवाल