आज शनिवार, मार्गशीर्ष शुक्ल अष्टमी तिथि है। आज पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र, “आनन्द” नाम संवत् 2078 है।
( उक्त जानकारी उज्जैन के पञ्चाङ्गों के अनुसार है)
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-अष्टमी, चतुर्दशी, अमावस्या तिथि को पशुओं का क्रय – विक्रय नहीं करना चाहिए।
-मङ्गलवार, चतुर्दशी तिथि तथा प्रातः, सन्ध्या, रात्रि, दिन में भोजन के बाद, यात्रा वाले दिन क्षौर कर्म (कटिंग) नहीं कराना चाहिए।
-यज्ञ वाले दिन, माता – पिता की मृत्यु, जेल से छूटने, विवाह अवसर पर क्षौर कराने में उक्त दिन, तिथि नहीं देखे जाते हैं।
-जब जिस नक्षत्र में शनि विद्यमान हो, उससे सम्बन्धित वृक्ष का यत्न पूर्वक पूजन करने से शनि का अरिष्ट निवारण होता है।
-सूर्य नक्षत्र आर्द्रा के प्रथम चरण में अर्थात दिनांक 22 जून से 24 जून तक बीज नहीं बोना चाहिए।
-श्रीमद् भगवत गीता में 8 प्रकृतियों के नाम बताए हैं – भूमि, जल, अग्नि, वायु, आकाश, मन, बुद्धि तथा अहंकार।
-श्वास रोककर मन्त्र का उच्चारण नहीं करना चाहिए।
-शान्त, ज्ञान और अत्यन्त रौद्र – यह मन्त्रों के तीन प्रकार हैं।
विजय अड़ीचवाल