Mumbai: सरकार आने वाले वित्त वर्ष में IDBI Bank का विनिवेश कर देगी. बैंक में घरेलू और विदेशी दोनों इन्वेस्टर्स ने इच्छा जताई है. सरकार और जीवन बीमा निगम (LIC) दोनों मिलकर IDBI Bank बैंक में अपनी हिस्सेदारी बेच रहे हैं. सरकार ने चालू फाइनेंशियल ईयर के लिए 65 हजार करोड़ रूपए के विनिवेश का टारगेट रखा है.
पब्लिक सेक्टर के बैंक आईडीबीआई बैंक (IDBI Bank) का विनिवेश अगले वित्त वर्ष में पूरा हो जाएगा. डिपार्टमेंट ऑफ इन्वेस्टमेंट एंड पब्लिक एसेट मैनेजमेंट के सचिव तुहिन कांता पांडे ने मीडिया सूत्रों को बताया कि IDBI Bank में बहुमत हिस्सेदारी हासिल करने के लिए घरेलू और विदेशी दोनों इन्वेस्टर्स ने इंट्रेस्ट दिखाया है. सरकार ने कहा कि उसे IDBI बैंक में बहुमत हिस्सेदारी के लिए कई बोलियां प्राप्त हुई हैं. अगले वित्त वर्ष में IDBI Bank के विनिवेश की आशा है.
कितनी है हिस्सेदारी
सरकार और जीवन बीमा निगम (LIC) दोनों के पास आईडीबीआई बैंक में 94.71 फीसदी की हिस्सेदारी है. इसमें केंद्र सरकार की हिस्सेदारी 45.48 फीसदी है, तो वहीं एलआईसी का भाग 49.24 फीसदी है. सरकार ने 7 अक्टूबर को आईडीबीआई बैंक के एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट के लिए बोलियां इन्वाइटेड थीं. कुल मिलाकर सरकार और जीवन बीमा निगम (LIC) मिलकर आईडीबीआई बैंक में 60.72 फीसदी की हिस्सेदारी बेचेंगे.
कब तक हो पाएगा विनिवेश
तुहिन कांत पांडे ने एक साक्षात्कार में कहा, ‘हमें आगामी वित्त वर्ष की पहली छमाही तक आईडीबीआई बैंक की बिक्री पूरी होने की आशा है. ‘ उन्होंने कहा कि बिडर्स को भारतीय रिजर्व बैंक के “उपयुक्त और उचित मानदंड” के लिए परिशोधित किया जाएगा और फिर बैंक के गोपनीय डेटा को संभावित बोलीदाताओं के साथ शेयर किया जाएगा. पब्लिक शेयरहोल्डिंग के लिए 5.28 फीसदी के अधिग्रहण के लिए ओपन ऑफर लाना होगा.
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खरीदारों के लिए रूल्स
इससे पहले डिपार्टमेंट ऑफ इन्वेस्टमेंट ने कहा था कि सशक्त खरीदारों के पास 22,500 करोड़ रूपए की कम से कम नेटवर्थ होनी चाहिए. इसके अतिरिक्त एक कंसोर्टियम में अधिकतम चार सदस्यों की अनुमति होगी. साथ ही सफल बिडर्स को अधिग्रहण की तारीख से पांच साल के लिए इक्विटी रकम का कम से कम 40 फीसदी अनिवार्य रूप से लॉक करना होगा. सरकार ने कुछ वक़्त पहले कहा था कि विदेशी फंड और निवेश फर्मों के एक कंसोर्टियम को आईडीबीआई बैंक के 51 फीसदी से अधिक की ओनरशिप की हासिल करने की स्वीकृति दी जाएगी.
कोरोना के कारण अटका मामला
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने फरवरी 2021 में बजट पेश करते हुए IDBI बैंक के अतिरिक्त दो और सरकारी बैंकों के निजीकरण का ऐलान किया था. मगर कोविड की वजह से इस मामले में बाधा खड़ी हो गई थी. सरकार ने चालू फाइनेंशियल ईयर के लिए 65 हजार करोड़ रुपये के विनिवेश का लक्ष्य सेट किया था.