One Nation One Election का क्या मतलब? इन देशों में पहले से लागू हैं ये व्यवस्था, भारत में भी हो चुके हैं एकसाथ चुनाव

Meghraj
Published on:

One Nation One Election : मंगलवार को केंद्र सरकार ने ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ बिल लोकसभा में पेश किया, जिसके बाद इस पर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग करवाई गई। इस मतदान में 269 सांसदों ने इस बिल के पक्ष में मतदान किया, जबकि 198 सांसदों ने इसके खिलाफ अपना वोट दिया। इसके बाद, इस बिल पर आगे की प्रक्रिया जारी है।

क्या है ‘एक राष्ट्र-एक चुनाव’ विधेयक?

इस विधेयक का उद्देश्य यह है कि भारत में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ, निश्चित समय पर, एक ही दिन आयोजित किए जाएं। सरकार का मानना है कि इससे चुनावी खर्च में कमी आएगी और प्रशासनिक दक्षता में सुधार होगा। साथ ही, यह विधेयक सरकार द्वारा एक स्थिर चुनावी प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए पेश किया गया है, जिसमें एक साथ होने वाले चुनावों से संसदीय और राज्य विधानसभाओं का कार्यकाल एक जैसे रहेगा।

सरकार ने ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ के फायदे गिनाए

केंद्र सरकार ने इस बिल को प्रस्तुत करते हुए बताया कि देश में एक साथ चुनाव कराने से चुनावी खर्चों में कमी आएगी और प्रशासन तथा सुरक्षा बलों पर कम दबाव पड़ेगा। सरकार ने यह भी कहा कि अलग-अलग चुनाव कराने से संसाधनों की बर्बादी होती है और अधिकारियों पर अत्यधिक बोझ पड़ता है। सरकार का कहना है कि एक साथ चुनाव कराने से संसाधनों का बेहतर उपयोग हो सकेगा और चुनाव प्रक्रिया को और अधिक व्यवस्थित किया जा सकेगा।

भारत में कब हुए थे एक साथ लोकसभा और विधानसभा चुनाव

भारत में पहले एक साथ लोकसभा और विधानसभा चुनाव होते थे। गणतंत्र बनने के बाद, 1951 से 1967 तक हर पांच साल में लोकसभा और सभी राज्यों की विधानसभा चुनाव एक साथ होते थे। लेकिन 1968 में कुछ राज्यों के पुनर्गठन और नए राज्यों के गठन के कारण यह व्यवस्था समाप्त कर दी गई। इसके बाद से देश में लोकसभा और विधानसभा चुनाव अलग-अलग समय पर होते हैं।

दुनिया के 9 देशों में ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ का मॉडल

केंद्र सरकार ने यह भी बताया कि ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ का मॉडल कई देशों में पहले से लागू है। इनमें प्रमुख देश जैसे अमेरिका, फ्रांस, स्वीडन, बेल्जियम, इंडोनेशिया, जर्मनी, जापान, फिलीपींस और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं। इन देशों में राष्ट्रीय और राज्य स्तर के चुनाव एक साथ होते हैं, जिससे चुनावी प्रक्रिया अधिक सुगम और कम खर्चीली बनती है।

विपक्ष ने इस बिल पर अपनी आपत्ति दर्ज कराई है, खासकर इसके कार्यान्वयन को लेकर। उनका कहना है कि भारत में लोकसभा और विधानसभा का कार्यकाल पांच साल का होता है, लेकिन ये कार्यकाल पहले भी भंग किए जा सकते हैं। ऐसे में अगर किसी राज्य में विधानसभा का कार्यकाल पहले समाप्त हो जाए, तो एक देश-एक चुनाव कैसे संभव होगा? ये एक बड़ा सवाल बनकर उभरा है।

दुनिया के विभिन्न देशों में ‘एक साथ चुनाव’ की व्यवस्था

  • अमेरिका: यहां राष्ट्रपति, कांग्रेस और सीनेट के चुनाव हर चार साल में एक साथ होते हैं। चुनाव नवंबर के पहले मंगलवार को आयोजित होते हैं।
  • फ्रांस: हर पांच साल में राष्ट्रपति और नेशनल असेंबली के चुनाव एक साथ होते हैं। फ्रांस में, नेशनल असेंबली में बहुमत प्राप्त करने वाला दल प्रधानमंत्री की नियुक्ति करता है।
  • स्वीडन: स्वीडन में हर चार साल में एक साथ संसद और स्थानीय सरकार के चुनाव होते हैं। यहां नगरपालिका और काउंटी परिषद के चुनाव भी उसी दिन होते हैं।

विपक्ष द्वारा उठाए गए सवालों और इसके विभिन्न पहलुओं को देखते हुए यह देखना होगा कि केंद्र सरकार इसे किस तरह से लागू करती है। यदि यह व्यवस्था लागू होती है तो भारत में चुनावी प्रक्रिया के लिए एक नई दिशा स्थापित हो सकती है। हालांकि, इसके कार्यान्वयन में कई संवैधानिक और राजनीतिक जटिलताएं हो सकती हैं, जिन्हें सुलझाने की आवश्यकता होगी।