इंदौर (Indore News) : इंदौर जिले में राजस्व विभाग के अधिकारियों को राजस्व विभाग से संबंधित नवीनतम नियम एवं निर्देशों तथा उनके अनुरूप विभागीय पोर्टल पर उपलब्ध ऑनलाइन सेवाओं की जानकारी देने के लिये गुरूवार को कलेक्टर सभाकक्ष में सांसद श्री शंकर लालवानी की अध्यक्षता में कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यशाला में विधायक श्री रमेश मेंदोला, श्री राजेश सोनकर, श्री जीतू जिराती, श्री मधु वर्मा, प्रभारी कलेक्टर एवं नगर निगम आयुक्त सुश्री प्रतिभा पाल, अपर कलेक्टर श्री पवन जैन, अपर कलेक्टर श्री अभय बेडेकर सहित सभी एसडीएम एवं राजस्व विभाग के अधिकारी तथा जनप्रतिनिधिगण उपस्थित रहे।
सांसद श्री शंकर लालवानी ने कहा कि आज आयोजित की गई इस कार्यशाला के माध्यम से हम जन-जन तक भू-राजस्व संहिता में किये गये संशोधन एवं राजस्व नियमों के बारे में जानकारी पहुंचा पायेंगे। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान के नेतृत्व में आयोजित की जा रही जन आर्शिवाद यात्रा में अधिकतम लोग राजस्व संबंधी समस्याओं को लेकर आते है। उनकी इन समस्यओं का निराकरण करने में आज की यह कार्यशाला ना केवल सहयोग प्रदान करेगी बल्कि मिल का पत्थर साबित होगी।
अपर कलेक्टर श्री पवन जैन ने बताया कि इसी तरह की कार्यशालाएं तहसील स्तर पर भी आयोजित की जायेंगी। उन्होंने कहा कि कार्यशाला के माध्यम से जनप्रतिनिधियों एवं आमजनों को राजस्व संबंधी जरूरी नियमों के बारे में अवगत कराया जा रहा है। जिससे राजस्व विभाग के कार्यों को मैदानी स्तर पर पहुंचाया जा सकें और अधिक से अधिक लोगों को शासन के इन नवीनतम सरलीकृत नियमों के माध्यम से लाभांवित किया जा सके।
कार्यशाला के दौरान एसडीएम श्री प्रतुल चंद्र सिन्हा ने प्रजेंटेशन के माध्यम से भू-राजस्व संहिता में हुये जरूरी संशोधन तथ नवीनतम नियमों के बारे में उपस्थित जनप्रतिनिधियों एवं अधिकारियों को जानकारी दी। उन्होंने बताया कि भू-राजस्व संहिता 1959 के राजस्व न्यायालयों की न्यायालयीन प्रक्रिया में गुणात्मक सुधार की दृष्टि से किये गये संशोधनों से जनसामान्य को परिचित कराने तथा जिलों में जन जागरण अभियान चलाने के उद्देश्य से यह कार्यशाला आयोजित की गई है।
उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा संहिता को नये स्वरूप देते समय भूमियों के प्रभावी प्रबंधन के लिए आवश्यक विधिक संशोधन, राजस्व प्रशासन को सुदृढ़ बनाने के उपाय, भूमिधारकों और प्रशासन के बीच संव्यवहार को सरल एवं जनोन्मुखी बनाना, राजस्व सेवाओं के प्रभावी प्रदाय के उपाय, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजातियों के भूमिस्वामियों, लघु एवं सीमांत कृषकों का हित संरक्षण आदि आवश्यक बिन्दुओं को ध्यान में रखा गया है। एसडीएम श्री सिन्हा ने भू-राजस्व संहिता 1959 के नये स्वरूप के अंतर्गत जिन धाराओं में संशोधन किये गये हैं उनमें से कुछ महत्वपूर्ण संशोधन के बारे में जानकारी देते हुये बताया कि धारा 50 के तहत पुनर्रीक्षण के लिए समयावधि 45 दिवस ही होगी, अब आवेदन पर या स्वप्रेरणा से पुनर्रीक्षण राजस्व मण्डल अथवा आयुक्त, कलेक्टर द्वारा ग्राहय किया जा सकेगा। इसी तरह धारा-59(4)(5) के तहत धारक अपनी भूमि का व्यपवर्तन के परिणाम स्वरूप भू-राजस्व का पुनर्निधारण स्वयं कर सकेगा।
व्यपवर्तन की अनुज्ञा की अनिवार्यता समाप्त की गई है, तथापि व्यपवर्तन किए जाने पर तद्स्थानी प्रभावशील विधियों का पालन धारक को होगा। धारा 59 (10) के तहत भूमिस्वामी केवल ऐसे प्रयोजन के लिए ही भूमि व्यपवर्तित करेगा, जैसी वह विधि के अधीन अनुरूप होगी। भूमि उपयोग एवं विधि के प्रतिकूल पाए जाने पर सक्षम अधिकारी तत्समय प्रवत्त विधि के अनुसार भूमिस्वामी के विरूद्ध कार्यवाही कर सकेगा तथा भूमि धारक अपनी भूमि का पुनरर्निधारण स्वयं कर सकेगा। अब आवेदन की पावती ही व्यपवर्तन की प्रमाण है। बैठक में उपस्थित सदस्यों द्वारा जरूरी सुझाव एवं फीडबैक भी दिया गया।