मुंबई शहर में हुए सबसे घातक आतंकी हमलों में से एक 26/11 के घटित होने के 13 साल बाद भी उस दिन की यादें उस हमले में जीवित बचे लोगों के मन में बसी हुई हैं। उन तीन दिनों में होटल ताज के अंदर क्या हुआ और वहां फसे लोगों ने क्या किया; ये सभी बातें कुछ ऐसी हैं जो दिलों को उदास कर जाती हैं। ‘द अननोन एज’ एक ऐसी किताब है जो इस आतंकवादी हमले का पहला विवरण साझा करती है और किस तरह इस घटना ने इस हमले में जीवित बचे लोगों के जीवन को बदल दिया उसके बारे में बताती है।
यह पुस्तक एक पूर्व वरिष्ठ बैंकर रजिता कुलकर्णी बग्गा की यात्रा के बारे में है, जो वर्तमान में वर्ल्ड फोरम फॉर एथिक्स इन बिजनेस की अध्यक्ष हैं। इस पुस्तक में बग्गा ने 26/11 के आतंकवादी हमलों में सुरक्षित बचने के बाद उनके आध्यात्मिक गुरु गुरुदेव श्री श्री रविशंकर जी के मार्गदर्शन में अनुभव किये गए विश्वास और आध्यात्मिकता के बारे में लिखा है।
“उस समय कुछ भी मायने नहीं रखता था,” रजिता याद करती हैं। “सीईओ और होटल के कर्मचारी, हर कोई एक जैसा था। हम सभी नीचे लेटे हुए थे, एक-दूसरे को थामे हुए, इस परीक्षा की घड़ी से गुजरने की कोशिश कर रहे थे। मुझे याद है कि मैंने अजय को देखकर उसे चुपचाप कहा था, मुझे इस तरह अलविदा कह कर नहीं जाना है। उस पल में कुछ बदल गया था। इससे पहले, मैंने अपने जीवन में कभी बंदूक की गोली की आवाज़ नहीं सुनी थी,” वह कहती हैं। उनके पति अजय बग्गा एक अनुभवी वित्तीय बाजार विशेषज्ञ और भारतीय व्यापार टेलीविजन पर एक जाना-माना चेहरा हैं।
पुस्तक में, रजिता ने गुरुदेव के साथ अपने लगभग तीन दशकों के घनिष्ठ संबंध की झलकियाँ भी साझा की हैं।