ब्रह्ममहुर्त में गूंज उठा जय रणजीत, आसमान में आतिशबाजी के रंग और धरती पर पुष्पों की बौछार
नितिनमोहन शर्माअदभुत...अलौकिक...अप्रतिम नज़ारा। जहा तक नजर दौड़ाओ..बस श्रद्धा में झुके मस्तक ही मस्तक। हर तरफ अपने इष्ट के जयकारों की गूंज। लहराती भगवा पताकाएं और गूंजती ढोल नगाड़ों की थाप। झाँझ, मंजीरों और झालर की झंकार। भजनों की स्वर…