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अक्सर मिलने वाली छुट्टी का आनंद नहीं उठा पाते लोग
× लेखक – आनंद शर्मा गपशप का ये कालम रविवार को छुट्टी के दिन इसलिए लिखा जाता है कि लोग आराम से इसे पढ़ें और अपनी आपबीती से इसके सिरे
जीवनदाता को खुशी की संजीवनी देने का पर्व है फादर्स डे
× (प्रवीण कक्कड़) भारतीय समाज संसार के सबसे संतुलित समाजों में से एक है। यहां की बहुसंख्यक आबादी के परिवारों का ताना-बाना पितृसत्तात्मक है, लेकिन हम अपनी जन्मभूमि को पितृभूमि
आखिर ‘राष्ट्र प्रमुख’ और नागरिकों के बीच क्यों बढ़ रही हैं दूरियां?
× निरुक्त भार्गव, पत्रकार 29 मई 2022 को उज्जैन में एक और राष्ट्रपति का आगमन हो रहा है. ये सिलसिला तभी से अनवरत है जबसे भारत एक संप्रभु, लोकतंत्रात्मक गणराज्य
भला इस संसार में ऐसा कौन होगा जो अपना भविष्य जानना न चाहता हो?
× रविवारीय गपशप लेखक – आनंद शर्मा भला इस संसार में ऐसा कौन होगा जो अपना भविष्य जानना न चाहता हो । हमारे वे मित्र जो शासकीय सेवा में हैं
वर्चुअल नहीं वास्तविक जिंदगी से मिलेगी संतुष्टि
× (प्रवीण कक्कड़) हम जीवन में संतोष और खुशियां चाहते हैं लेकिन वास्तविक खुशियों की तलाश में आभासी खुशी के बीच खोकर रह जाते हैं। आज मोबाइल, कम्प्यूटर, इंटरनेट और
Happy Birthday: श्री श्री रवि शंकर के अनमोल वचन
× Happy Birthday: श्री श्री रविशंकर का 65वां जन्मदिवस मनाया जा रहा है। श्री श्री रविशंकर का जन्म 13 मई सन 1956 में तमिनाडु के पापनाशम नामक गांव में हुआ
कोरोना से कितने मरे ?
× डॉ. वेदप्रताप वैदिक विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना से मरनेवाले भारतीयों की जो संख्या जताई है, यदि वह ठीक हो तो वह भारत के लिए बहुत ही चिंता और
नायकों की क़तार में कहां खड़े दिखना चाहते हैं पीएम ?
× श्रवण गर्ग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का असली स्वरूप कौन सा है ? केंद्र की सत्ता में आठ साल और उसके पहले गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में बारह साल
मदर्स डे विशेष : मां सृष्टि का मूल है
× प्रवीण कक्कड़ आधुनिक समाज में यह परंपरा विकसित हो गई है कि कोई ना कोई तारीख या दिन किसी विशेष प्रयोजन को समर्पित किया जाता है। आज का दिन
राम और मर्यादा पुरषोत्तम राम
× राजकुमार जैन (स्वतंत्र विचारक) राम सिर्फ दो अक्षर का नाम भर नहीं है, रामनाम तो प्रत्येक प्राणी की चेतना में सांस की तरह बसा हुआ है, राम चेतना और
साठ की हो गई अपनी संस्था
× अन्ना दुराई अनेकानेक छोटे बड़े पत्रकारों की गोद में पली बढ़ी हमारी संस्था आज स्वयं साठ की हो गई है। वाक़ई पत्रकार बिरादरी का तीर्थ है इंदौर प्रेस क्लब।
सीटें तो कम हो गईं! भाजपा मज़बूत हुई कि कमजोर ?
× श्रवण गर्ग एग्जिट पोल्स के ‘अनुमान’ अंततः अंतिम ‘परिणाम’ भी साबित हो गए। प्रधानमंत्री सहित भाजपा के सभी बड़े नेताओं की भाव-भंगिमाओं में पहले से ही ऐसा परिलक्षित भी
भक्ति और भाईचारे के रंगों से सजा है होली का त्यौहार
× प्रवीण कक्कड़ हमारे भारत देश में तरह-तरह के त्यौहार हैं। सबका अपना-अपना महत्व है और अपने अपने तौर-तरीके। लेकिन इन सब त्योहारों में भी होली का जो महात्म्य है,
बजट का बूस्टर डोज किसके लिए!
× जयराम शुक्ल मुद्दतों बाद ऐसा हुआ है जब बजट का सुर्ख शीर्षक बनाने में संपादकों के पसीने छूटे हैं..। कभी बजट पेश होने के एक दिन पहले अखबार के
बजट पर एक चैनलिया बहस
× बैठे-ठाले/ जयराम शुक्ल अपने देश में बजटोत्सव (budget festival) वैसे ही एक अपरिहार्य कर्मकाण्ड है, जैसे कि वार्षिक श्राद्ध (Annual Shradh)। श्राद्ध शोकोत्सव है, शोक भी उत्सव भी। अपने
कमलेश्वरजी को याद करते हुए
× जयंती/जयराम शुक्ल पिछले पैतीस साल की पत्रकारीय यात्रा में मेरे दिल-ओ-दिमाग में जिन कुछ शख्सियतों की गहरी छाप रही है उनमें से कमलेश्वर जी प्रमुख हैं। आज उनका जन्मदिन
‘कन्यादान’ रस्म का औचित्य और तपस्या के सवाल…!
× अजय बोकिल सनातन हिंदू विवाह पद्धति में कन्यादान की रस्म के औचित्य पर मप्र की युवा आईएएस अधिकारी तपस्या परिहार द्वारा सवाल उठाने और अपने ही विवाह में इसे
अंतरराष्ट्रीय एयरलाइंस में नौकरी करने की गाथा
× गिरीश मालवीय की कलम से मान लीजिए कि आप किसी जानी मानी अंतराष्ट्रीय एयरलाइंस में नोकरी करते हैं और आपकी तनख्वाह यही कुछ लाख रुपये के आसपास है, कंपनी
अब किस दुनिया में जिएं प्रेमचंद के झूरी काछी और हीरा-मोती
× समाज/जयराम शुक्ल आज प्रेमचन्द जयंती है। आज के दिन प्रेमचंद बड़ी शिद्दत से याद किए जाते हैं। हमारे यहां एक रिवाज है जिसे न मानना हो उसको पूजना शुरु
नामकरण ही नहीं, उसके पीछे के इरादे भी जानना ज़रूरी है !
× -श्रवण गर्ग सरकार अगर अचानक से घोषणा कर दे कि परिस्थितियाँ अनुकूल होने तक अथवा किन्ही अन्य कारणों से विवादास्पद कृषि क़ानूनों को वापस लिया जा रहा है और