Fatima Sana Shaikh: मिर्गी जैसी गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं फातिमा सना शेख, जानें इस बीमारी के लक्षण और कारण

Srashti Bisen
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Fatima Sana Shaikh: मिर्गी जैसी गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं फातिमा सना शेख, जानें इस बीमारी के लक्षण और कारण

फातिमा सना शेख, जो कि बॉलीवुड फिल्म “दंगल” के लिए चर्चित हुईं, ने हाल ही में एक इंटरव्यू में अपनी व्यक्तिगत चुनौतियों के बारे में खुलासा किया। उन्होंने बताया कि फिल्म की शूटिंग के दौरान उन्हें मिर्गी (एपिलेप्सी) जैसी गंभीर न्यूरोलॉजिकल बीमारी का पता चला था। शुरुआत में उन्होंने इस बीमारी को लेकर इनकार किया, लेकिन बाद में उन्हें समझ में आया कि यह एक नर्वस सिस्टम से जुड़ी समस्या है। फातिमा ने बताया कि मिर्गी का निदान होने के बाद उनका डर यह था कि कहीं उनके सामने दौरा न पड़ जाए, खासकर तब जब वह सार्वजनिक रूप से शूटिंग कर रही थीं।

मिर्गी क्या है?

मिर्गी एक पुरानी न्यूरोलॉजिकल बीमारी है, जो मस्तिष्क में तंत्रिका कोशिकाओं के गड़बड़ी से उत्पन्न होती है। इसमें मस्तिष्क से उत्पन्न होने वाले गलत संकेतों के कारण शरीर में दौरे आते हैं। मिर्गी के दौरे का प्रकार अलग-अलग हो सकता है और यह व्यक्ति के मस्तिष्क की स्थिति पर निर्भर करता है। यह बीमारी किसी भी उम्र में हो सकती है, लेकिन यह विशेष रूप से छोटे बच्चों और 60 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्तियों में ज्यादा देखने को मिलती है।

मिर्गी के लक्षण और कारण

मिर्गी के लक्षणों में शरीर में दर्द, अकड़न, बेहोशी, मरोड़, और अचानक घबराहट महसूस होना शामिल है। मिर्गी के दौरे आमतौर पर तब आते हैं जब मस्तिष्क में तंत्रिका कोशिकाओं का सही तरीके से काम नहीं होता। मिर्गी के कई कारण हो सकते हैं, जैसे:

  • स्ट्रोक और ब्रेन स्ट्रोक
  • सिर पर चोट लगना
  • ड्रग्स या शराब का अत्यधिक सेवन
  • ब्रेन इंफेक्शन

इसके अलावा, कुछ अन्य शारीरिक और मानसिक समस्याओं, जैसे अत्यधिक तनाव और चिंता, भी मिर्गी को उत्पन्न कर सकती हैं।

मिर्गी का इलाज और निदान

मिर्गी का इलाज पूरी तरह से संभव नहीं है, लेकिन इसका प्रबंधन किया जा सकता है। डॉक्टर इस बीमारी का निदान करने के लिए विभिन्न परीक्षणों का उपयोग करते हैं, जैसे ईईजी (इलेक्ट्रोएन्सेफलोग्राफी), सीटी स्कैन, और एमआरआई। इन परीक्षणों के माध्यम से मस्तिष्क की गतिविधि और संरचना का आकलन किया जाता है, जिससे मिर्गी का सही कारण पता लगाया जा सकता है।

इसके अलावा, एंटी-एपिलेप्टिक ड्रग्स (AEDs) मिर्गी को नियंत्रित करने के लिए सबसे प्रभावी इलाज माने जाते हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, मिर्गी के 10 में से लगभग 7 मामलों में इन दवाइयों से मिर्गी के दौरे को नियंत्रित किया जा सकता है। हालांकि, कुछ मरीजों को इन दवाइयों से राहत नहीं मिलती, जिससे उनका जीवन काफी चुनौतीपूर्ण हो जाता है।

फातिमा का अनुभव

फातिमा सना शेख ने अपने अनुभव के बारे में बताया कि एक दशक तक मिर्गी के साथ जीना उनके लिए काफी मुश्किल था। उन्होंने बताया कि इस बीमारी के कारण उन्हें अपने मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर पड़ा था, जिससे उनका आत्म-सम्मान घट गया था। मिर्गी के दौरे के दौरान उन्हें काफी परेशानी का सामना करना पड़ा, और यह खासकर उस समय और भी कठिन हो गया जब वह फिल्म की शूटिंग कर रही थीं।

उन्होंने कहा कि मिर्गी के साथ जीने का सबसे बड़ा डर यह था कि कहीं अनियंत्रित समय और स्थान पर दौरा न पड़ जाए, जो उनके काम और सामाजिक जीवन को प्रभावित कर सकता था। लेकिन समय के साथ फातिमा ने इस समस्या से निपटना सीख लिया और अपने अनुभव को साझा किया, जिससे यह साबित होता है कि मानसिक और शारीरिक चुनौतियों का सामना करने से ही हम मजबूत बन सकते हैं।

मिर्गी पर वैश्विक स्थिति

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, पूरी दुनिया में लगभग 50 मिलियन लोग मिर्गी से प्रभावित हैं। मिर्गी का खतरा किसी भी उम्र के लोगों को हो सकता है। मिर्गी की बीमारी पर नियंत्रण पाना मुश्किल हो सकता है, खासकर उन लोगों के लिए जिनके लिए दवाइयाँ असरदार नहीं होतीं।