मध्यप्रदेश में भी Joshimath जैसे संकेत, बाढ़ की वजह से धंसने लगी जमीन, मकानों में भी आ रही दरारें

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पहाड़ धंसने और मकानों में आई दरारों का सिलसिला सिर्फ जोशीमठ तक ही सिमित नहीं रह गया है वैसे ही संकेत मध्य प्रदेश के नर्मदापुरम में भी देखने को मिल रहे हैं. यहां नर्मदा में आने वाली बाढ़ के थपेड़ों से नर्मदा के घाट दो-दो फीट धंस गए हैं, तो वहीं नर्मदा किनारे बसे भवनों में भी हल्की-हल्की दरारें देखी जा रही है. समय रहते यहां प्रशासन को सजगता बरतने की जरुरत है. शनिवार को एबीपी न्यूज की टीम ने यहां पहुंचकर मकानों में आई दरारों का जायजा लिया.विवेकानंद घाट के दूसरे छोर पर स्थिति यह है कि यहां हर साल मकान थोड़े-थोड़े झुक रहे हैं. घरों में फर्श धंसते जा रहे हैं. यहां के रहवासियों की मानें तो वे हर साल बारिश के पानी से बचाव के लिए लाखों रुपये खर्च कर इंतजाम करते हैं. इसके बावजूद उनके यह इंतजाम बेअसर ही साबित हो रहे हैं.

नर्मदापुरम में स्थित नर्मदा नदी घाट विवेकानंद घाट, मंगलवारा घाट और नागेश्वर मंदिर सहित अन्य घाटों में नर्मदा में आने वाली बाढ़ की वजह से दरारें पड़ने लगी है. साथ ही जगह-जगह पिंचिंग और मिट्टी धंस रही है. विवेकानंद घाट के पास बनी नर्मदा कॉलोनी में भी कई मकानों में दरार देखी जा रही है. यह रहवासियों से बाढ़ के पानी से बचने के लिए अपने मकानों में कई तरह के जतन करवा रखे हैं. बावजूद उन्हें सफलता नहीं मिल रही है. बाढ़ के पानी से बचाव के लिए रिर्टनिंग वॉल बनवा रखी है, बावजूद कई घरों में बारिश के दौरान कमरों में पानी के फव्वारे फूट कर निकलते हैं.
जाँच करवाना जरूरी

इस मामले में जल संसाधन विभाग के रिटायर्ड अधीक्षण यंत्री एमपी मिश्रा का कहना है कि नर्मदापुरम में सेठानी घाट को नदी की धार बैक करती है. नर्मदा नदी की धार सीधी नहीं जाती कभी दांई तरफ तो कभी बाई तरफ चलती है. वहीं जब बरगी, बारना और तवा बांध से पानी छोड़ा जाता है, तब नदी की यह चाल कितना हाइड्रो डायनामिक असर डालती है, यह भूगर्भशास्त्री और नदी विशेषज्ञों से अध्ययन करा कर समझना जरूरी है.