Rishi Panchami 2025: भाद्रपद शुक्ल पंचमी तिथि को हर साल मनाए जाने वाला ऋषि पंचमी का व्रत इस बार गुरुवार, 28 अगस्त 2025 को पड़ रहा है। खास बात यह है कि यह पर्व गणेश चतुर्थी (27 अगस्त) के अगले ही दिन आ रहा है। धार्मिक मान्यता है कि जहां गणपति की पूजा जीवन से विघ्न-बाधाएं दूर करती है, वहीं अगले दिन सप्तऋषियों की आराधना ज्ञान, संस्कार और आत्मशुद्धि का आशीर्वाद प्रदान करती है।
ऋषि पंचमी का महत्व
यह पर्व केवल पूजा और व्रत तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हर इंसान को यह याद दिलाता है कि उसने अपने जीवन में गुरु, आचार्य और ऋषियों का ऋण चुकाना है। धर्माचार्यों का मानना है कि यह दिन भक्ति, तपस्या और कृतज्ञता का प्रतीक है। जो भी व्यक्ति इस दिन व्रत करता है और सप्तऋषियों की पूजा करता है, उसके जीवन में सुख-शांति, समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति आती है।
पूजा का शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार इस वर्ष ऋषि पंचमी की पूजा का सबसे उत्तम समय सुबह 11:05 बजे से दोपहर 01:39 बजे तक रहेगा। विद्वानों के मुताबिक, इसी अवधि में सप्तऋषियों का पूजन करना और व्रत रखना सबसे अधिक फलदायी माना गया है।
क्यों मनाई जाती है ऋषि पंचमी?
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, यदि कोई महिला मासिक धर्म के दौरान अनजाने में धार्मिक नियमों का उल्लंघन कर देती है, तो इस दोष को दूर करने के लिए वह ऋषि पंचमी का व्रत रख सकती है। इस दिन सप्तऋषियों – कश्यप, अत्रि, भरद्वाज, विश्वामित्र, वशिष्ठ, जमदग्नि और गौतम ऋषि की पूजा करने का विधान है। ऐसा करने से पापों का नाश होता है, आत्मशुद्धि होती है और जीवन में समृद्धि व ज्ञान की प्राप्ति होती है।
सप्तऋषि पूजा का महत्व
ऋषि पंचमी का सीधा संबंध सप्तऋषियों से है, जिन्हें हिंदू धर्म में ज्ञान, तपस्या और संस्कृति के रक्षक के रूप में जाना जाता है। वेद, आयुर्वेद, ज्योतिष और संस्कृत जैसी विद्या इन्हीं ऋषियों की देन मानी जाती है। मान्यता है कि जो भी इस दिन इनकी आराधना करता है, उसके जीवन में धन, बुद्धि, संतान सुख और धार्मिक आशीर्वाद की वृद्धि होती है।
महिलाओं के लिए क्यों खास है यह पर्व?
हिंदू धर्मग्रंथों में वर्णन है कि ऋषि पंचमी व्रत का विशेष महत्व महिलाओं के लिए है। यदि मासिक धर्म के समय अनजाने में कोई अशुद्धि या धार्मिक भूल हो जाए, तो इस दिन व्रत करने और सप्तऋषियों के साथ अरुंधती देवी की पूजा करने से सभी दोष समाप्त हो जाते हैं और शुद्धि प्राप्त होती है।
ऋषि पंचमी की पूजा विधि
- प्रातःकाल स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करें।
- घर में मिट्टी या गोबर से सप्तऋषियों की प्रतिमा बनाएं और उनकी पूजा करें।
- धूप, दीप, पुष्प और नैवेद्य अर्पित करें।
- सप्तऋषियों के साथ अरुंधती देवी की भी आराधना करें।
- दिनभर व्रत रखकर शाम को दान-पुण्य करें और ब्राह्मणों को भोजन कराएं।
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