काशी में मरना क्यों कहलाता है सबसे पवित्र? शिव स्वयं सुनाते हैं ये गुप्त ‘तारक मंत्र’

काशी में मरना हिंदू धर्म में मोक्ष को जीवन का अंतिम लक्ष्य माना गया है — ऐसा मुक्ति मार्ग जिसमें आत्मा जन्म-मरण के चक्र से मुक्त होकर परमात्मा में विलीन हो जाती है.

Kumari Sakshi
Published:
काशी में मरना क्यों कहलाता है सबसे पवित्र? शिव स्वयं सुनाते हैं ये गुप्त 'तारक मंत्र'

हिंदू धर्म में मोक्ष को जीवन का अंतिम लक्ष्य माना गया है — ऐसा मुक्ति मार्ग जिसमें आत्मा जन्म-मरण के चक्र से मुक्त होकर परमात्मा में विलीन हो जाती है. और जब मोक्ष की बात होती है, तो सबसे पवित्र स्थल का नाम आता है — काशी.
यह माना जाता है कि जो भी व्यक्ति काशी (वाराणसी) में प्राण त्याग करता है, उसे स्वयं भगवान शिव ‘तारक मंत्र’ सुनाकर मोक्ष प्रदान करते हैं. यह कोई कल्पना नहीं, बल्कि पुराणों और शास्त्रों में वर्णित एक दिव्य सत्य है.

काशी: मोक्ष की नगरी
काशी को ‘अविनाशी नगरी’ कहा गया है. स्कंद पुराण के काशी खंड में वर्णन है कि — “जो आत्मा काशी में शरीर त्यागती है, उसे फिर जन्म नहीं लेना पड़ता.” काशी ही एकमात्र ऐसी नगरी है जो स्वयं भगवान शिव के द्वारा बसाई गई और उनकी मुक्ति प्रदान करने वाली नगरी है.

क्या है ‘तारक मंत्र’?
‘तारक मंत्र’ का अर्थ है — उद्धार करने वाला मंत्र। यह मंत्र मृत्यु के समय आत्मा को भटकने से रोकता है, उसे प्रकाश की ओर ले जाता है और मोक्ष का द्वार खोलता है. माना जाता है कि यह मंत्र है “राम-राम” या “ॐ नमः शिवाय” — जो शिव स्वयं कानों में कहते हैं. कुछ मतों में यह भी कहा गया है कि शिवजी “ॐ” की गूंज स्वयं मृतक के कान में करते हैं, जिससे आत्मा मार्गदर्शन पाती है.

भगवान शिव का वचन: “मैं स्वयं देता हूं मुक्ति”
काल भैरव, जो काशी के रक्षक हैं, यमराज को इस नगरी में प्रवेश नहीं करने देते, ऐसे में प्रत्येक मरने वाले को यम का भय नहीं होता, क्योंकि स्वयं शिव वहां तारक मंत्र के साथ उपस्थित होते हैं.

काशी खंड के अनुसार: “जो काशी में शरीर त्याग करता है, उसका हर पाप शिव नाम के स्पर्श से ही जल जाता है.”

महत्वपूर्ण स्थल – ‘मुक्ति भवन’ और ‘काशी विश्वनाथ मंदिर’
मुक्ति भवन में आज भी ऐसे कई लोग आते हैं जो अंतिम समय में मोक्ष की प्राप्ति चाहते हैं, यहां भक्तों के लिए मंत्रोच्चारण, गंगा स्नान और शिव-पार्वती के भजन होते हैं. विश्वनाथ मंदिर में ‘तारक मंत्र’ का जाप विशेष रूप से कराया जाता है.

काशी में मरने से मिलते हैं ये फल:
जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति, पूर्वजों को भी मिलता है श्रेय, ब्रह्मज्ञान की प्राप्ति, आत्मा को शांति और प्रकाश की ओर मार्गदर्शन, पितृ दोष और कर्म बंधन से मुक्ति.

क्या कहते हैं शास्त्र और संत?
आदि शंकराचार्य ने काशी को “मोक्ष भूमि” कहा

तुलसीदास ने लिखा — “जिन्हें शिव कृपा से काशी में मृत्यु मिले, उन्हें पुनर्जन्म नहीं होता”

क्या सामान्य लोगों को भी मिल सकती है यह कृपा?
यदि व्यक्ति श्रद्धा, साधना और सेवा में जीवन बिताता है, और अंतिम समय में उसे शिव स्मरण, गंगा दर्शन और शुद्ध भावना प्राप्त हो — तो चाहे वह कहीं भी हो, उसे शिव की कृपा से तारक मंत्र सुनने का फल मिल सकता है.