2025 में कब है हरतालिका तीज? जानें एक क्लिक में पूजा, व्रत नियम और शुभ मुहूर्त

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By Swati BisenPublished On: August 8, 2025
Hartalika Teej 2025

Hartalika Teej 2025 : हिंदू संस्कृति में व्रतों और त्योहारों का विशेष महत्व है, और तीज व्रत उनमें एक अहम स्थान रखते हैं। हर साल तीन प्रमुख तीजें मनाई जाती हैं, हरियाली तीज, कजरी तीज और हरतालिका तीज। इनमें से हरतालिका तीज का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व सबसे अधिक माना जाता है। यह पर्व भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को आता है।

इस दिन स्त्रियां शिव-पार्वती की पूजा करती हैं और अपने पति की लंबी उम्र व सुख-समृद्धि की कामना के लिए कठोर निर्जला उपवास रखती हैं। अविवाहित कन्याएं भी इस व्रत को अच्छे वर की प्राप्ति के लिए करती हैं।

कब है हरतालिका तीज 2025?

हरतालिका तीज 2025 में 26 अगस्त, मंगलवार को मनाई जाएगी। व्रत की शुरुआत 25 अगस्त को दोपहर 12:34 बजे से होगी और इसका समापन 26 अगस्त को दोपहर 01:55 बजे तक होगा। पूजा के लिए सबसे शुभ समय 26 अगस्त को सुबह 06:00 से 08:30 बजे तक माना गया है। व्रत का पारण अगले दिन यानी 27 अगस्त को सूर्योदय के बाद किया जाएगा।

हरतालिका तीज का धार्मिक महत्व

हरतालिका तीज सिर्फ एक व्रत नहीं, बल्कि देवी पार्वती की उस भक्ति और तपस्या की याद दिलाता है, जो उन्होंने भगवान शिव को पाने के लिए की थी। धार्मिक मान्यता है कि माता पार्वती ने बिना जल ग्रहण किए, घोर तप करके शिवजी को पति रूप में प्राप्त किया। इसलिए इस व्रत को अखंड सौभाग्य और पति की दीर्घायु का प्रतीक माना गया है।

हरतालिका तीज की पौराणिक कथा

“हरतालिका” शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है, ‘हरत’ यानी अपहरण और ‘आलिका’ यानी सखी। कथा के अनुसार, देवी पार्वती के पिता उनका विवाह विष्णु से करना चाहते थे, परंतु पार्वती जी शिव को ही पति रूप में स्वीकार कर चुकी थीं। उनकी सखी ने पार्वती को विवाह से बचाने के लिए उनका अपहरण कर उन्हें जंगल में छुपा दिया। वहीं रहकर पार्वती जी ने शिवजी को पाने के लिए कठोर तपस्या की। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर शिवजी ने उन्हें पत्नी रूप में स्वीकार किया। तब से इस व्रत को महिलाओं ने अपने सुहाग की रक्षा और पार्वती जैसी भक्ति के प्रतीक रूप में अपनाया।

पूजा विधि (Hartalika Teej Puja Vidhi)

  • प्रातःकाल स्नान कर व्रत का संकल्प लें।
  • मिट्टी या धातु से बनी शिव-पार्वती की मूर्तियों की स्थापना करें।
  • बेलपत्र, धतूरा, चंदन, फल-फूल और अक्षत से पूजन करें।
  • हरतालिका व्रत कथा का श्रवण या पाठ करें।
  • रातभर जागरण करें और भजन-कीर्तन में समय बिताएं।
  • अगले दिन सूर्योदय के बाद व्रत का पारण करें।

इस व्रत में दिन में सोना वर्जित होता है और संध्या से रात्रि तक जागरण करने का नियम है। साथ ही, 24 घंटे के दौरान पांच हवन आहुतियां देने का भी विधान है।

पारण से जुड़े नियम

व्रत पारण से पहले माता गौरी का पूजन और उनका विसर्जन करना अनिवार्य होता है। पारण के समय सात्विक भोजन ग्रहण करें और सबसे पहले गुड़ मिला जल पीना शुभ माना जाता है। व्रत के दौरान जल, फल, अन्न कुछ भी नहीं लिया जाता — ये सब केवल पारण के बाद ही ग्रहण किए जाते हैं।

इस दिन क्या करें और क्या नहीं?

  • व्रत के दिन किसी से विवाद न करें और मन को शांत रखें।
  • शिव और पार्वती का मन से ध्यान करें।
  • पारण से पहले एक बूंद जल भी न लें।
  • सच्चे मन और श्रद्धा से व्रत करें, तभी इसका पूर्ण फल प्राप्त होता है।

    Disclaimer : यहां दी गई सारी जानकारी केवल सामान्य सूचना पर आधारित है। किसी भी सूचना के सत्य और सटीक होने का दावा Ghamasan.com नहीं करता।