निर्जला एकादशी के दिन भूलकर भी न करें ये काम, वरना नहीं मिलेगा व्रत का फल, घर में आएगी दरिद्रता

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By Swati BisenPublished On: May 28, 2025
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हिंदू धर्म में निर्जला एकादशी का विशेष महत्व है। यह एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित होती है और साल की सभी 24 एकादशियों का पुण्य एक ही दिन में प्राप्त करने का माध्यम मानी जाती है। इस बार यह व्रत 6 जून को मनाया जाएगा।

यह व्रत अत्यंत कठोर होता है क्योंकि इसमें जल तक का सेवन वर्जित है। इसे सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए कुछ नियमों का पालन आवश्यक होता है। आइए जानते हैं कि इस दिन किन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए।

तुलसी के पत्ते न तोड़ें

निर्जला एकादशी के दिन भूलकर भी न करें ये काम, वरना नहीं मिलेगा व्रत का फल, घर में आएगी दरिद्रता

एकादशी के दिन तुलसी के पत्ते तोड़ना वर्जित माना गया है। तुलसी देवी भगवान विष्णु की अति प्रिय हैं और इस दिन उन्हें तोड़ना उनका अपमान समझा जाता है। यदि पूजा के लिए तुलसी की आवश्यकता हो, तो उन्हें एक दिन पहले ही तोड़कर रख लेना चाहिए।

अन्न और जल का सेवन न करें

जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, निर्जला एकादशी में जल तक का सेवन नहीं किया जाता। यह व्रत पूर्ण रूप से निर्जल और निराहार रहता है। हां, शारीरिक असमर्थता होने पर जैसे गर्भवती महिलाएं, बीमार या बुजुर्ग व्यक्ति अपनी क्षमता के अनुसार उपवास कर सकते हैं।

चावल से करें परहेज

धार्मिक मान्यता के अनुसार, एकादशी के दिन चावल का सेवन वर्जित होता है। कहा जाता है कि इस दिन चावल खाने से अगले जन्म में नीच योनि में जन्म लेने का खतरा होता है। इसलिए न सिर्फ खाना, बल्कि चावल पकाना भी इस दिन मना होता है।

तामसिक भोजन से दूरी बनाएं

निर्जला एकादशी के दिन तामसिक भोजन जैसे मांस, लहसुन, प्याज, शराब आदि का सेवन पूरी तरह निषिद्ध है। भले ही आप व्रत न रख रहे हों, इस दिन केवल सात्विक और पवित्र भोजन ही करें।

शरीर सौंदर्य से जुड़ी गतिविधियों से बचें

इस पावन दिन पर बाल काटना, नाखून तराशना या दाढ़ी बनवाना अशुभ माना जाता है। यह कार्य व्रत की पवित्रता को भंग कर सकते हैं, इसलिए इनसे बचना चाहिए।

किसी को अपशब्द या अपमानित नहीं करें

एकादशी के दिन किसी भी व्यक्ति को अपमानित करना या कठोर शब्द कहना अशोभनीय माना जाता है। इससे न केवल आपके व्रत की पवित्रता प्रभावित होती है, बल्कि भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की नाराजगी भी झेलनी पड़ सकती है।

कलह से करें परहेज

इस दिन घर हो या बाहर, किसी भी प्रकार का विवाद या झगड़ा करने से बचें। क्रोध और तनाव से दूर रहकर शांतिपूर्ण और भक्तिपूर्ण वातावरण बनाए रखना चाहिए, तभी व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है।

Disclaimer : यहां दी गई सारी जानकारी केवल सामान्य सूचना पर आधारित है। किसी भी सूचना के सत्य और सटीक होने का दावा Ghamasan.com नहीं करता।