Navratri Special: चमत्‍कारो से भरा है इस मंदिर का इतिहास, मंद‍िर में दर्शन करने से आंखों के रोग दूर होने की है मान्‍यता

pallavi_sharma
Published:

नैना देवी मंदिर हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में है। यह शिवालिक पर्वत श्रेणी की पहाड़ियों पर स्थित एक भव्य मंदिर है। यह देवी के 51 शक्तिपीठों में शामिल है। यह तीर्थ स्थल हिंदूओं के पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक है। यह समुद्र तल से 11000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। मान्यता है कि इस स्थान पर देवी सती के नेत्र गिरे थे।

पवित्र कपाली कुंड सरोवर 

मंदिर के मुख्य द्वार के दाई ओर भगवान गणेश और हनुमान कि मूर्ति है। मंदिर के गर्भ ग्रह में मुख्य तीन मूर्तियां हैं। दाई तरफ माता काली की, मध्य में नैना देवी की और बाई ओर भगवान गणेश की प्रतिमा है। यहां एक पवित्र जल का तालाब है, जो मंदिर से कुछ ही दूरी पर स्थित है। जिसे कपाली कुंड कहा जाता है,मंदिर के समीप एक गुफा है जिसे नैना देवी गुफा के नाम से जाना जाता है।

Navratri Special: चमत्‍कारो से भरा है इस मंदिर का इतिहास, मंद‍िर में दर्शन करने से आंखों के रोग दूर होने की है मान्‍यता

पौराणिक कथा

एक पौराणिक कथा के अनुसार जब देवी सती ने राजा दक्ष से अपमानित होने पर खुद को हवन अग्नि में समर्पित कर दिया था, उनकी मृत्यु से भगवान शिव व्यथित हो उठे थे, उन्होंने सती के शव को कंधे पर उठाया और तांडव नृत्य शुरू कर दियाथा जिससे सभी देवता भयभीत हो उठे, भोलेनाथ का यह रूप प्रलय ला सकता था। सभी देव गणों ने भगवान विष्णु से यह आग्रह किया कि वः भगवान शिव को शांत करे तब भगवान िष्णु ने अपने चक्र से सती के शरीर को टुकड़ों में विभक्त कर दिय था । श्री नैना देवी मंदिर वह स्थान है जहां देवी सती के नेत्र गिरे थे।

Navratri Special: चमत्‍कारो से भरा है इस मंदिर का इतिहास, मंद‍िर में दर्शन करने से आंखों के रोग दूर होने की है मान्‍यता

एक और कहानी है मंदिर की

मंदिर से संबंधित एक अन्य कहानी नैना नाम के गुज्जर लड़के की है। एक बार वह अपने मवेशियों को चराने गया और देखा कि एक सफेद गाय अपने थनों से एक पत्थर पर दूध बरसा रही है। उसने अगले कई दिनों तक इसी बात को देखा। एक रात जब वह सो रहा था, उसने देवी मां को सपने मे यह कहते हुए देखा कि वह पत्थर उनकी पिंडी है। नैना ने पूरी स्थिति और उसके सपने के बारे में राजा बीर चंद को बताया। तब राजा ने उसी स्थान पर श्री नैना देवी नाम के मंदिर का निर्माण करवाया।

Navratri Special: चमत्‍कारो से भरा है इस मंदिर का इतिहास, मंद‍िर में दर्शन करने से आंखों के रोग दूर होने की है मान्‍यता

महिषासुर का वध भी यही हुआ

श्री नैना देवी मंदिर महिशपीठ नाम से भी प्रसिद्ध है क्योंकि यहां पर मां श्री नैना देवी जी ने महिषासुर का वध किया था। किंवदंतियों के अनुसार, महिषासुर एक शक्तिशाली राक्षस था जिसे श्री ब्रह्मा द्वारा अमरता का वरदान प्राप्त था लेकिन उस पर शर्त यह थी कि वह एक अविवाहित महिला द्वारा ही परास्त हो सकता था। इस वरदान के कारण, महिषासुर ने पृथ्वी और देवताओं पर आतंक मचाना शुरू कर दिया। राक्षस का सामना करने के लिए सभी देवताओं ने अपनी शक्तियों को संयुक्त किया और एक देवी को बनाया जो उसे हरा सके। देवी को सभी देवताओं द्वारा अलग-अलग प्रकार के शस्त्रों की भेंट प्राप्त हुई। महिषासुर देवी की असीम सुंदरता से मंत्रमुग्ध हो गया और उसने शादी का प्रस्ताव देवी के समक्ष रखा। देवी ने उसे कहा कि अगर वह उसे हरा देगा तो वह उससे शादी कर लेगी। लड़ाई के दौरान, देवी ने दानव को परास्त किया और उसकी दोनों आंखें निकाल दी।
Navratri Special: चमत्‍कारो से भरा है इस मंदिर का इतिहास, मंद‍िर में दर्शन करने से आंखों के रोग दूर होने की है मान्‍यता