भारतीय संस्कृति और शास्त्रों में गौ माता को देवी का रूप माना गया है. विशेष रूप से कामधेनु गाय को “इच्छा पूर्ण करने वाली गाय” कहा गया है. यह ऐसी पवित्र और दिव्य गाय मानी जाती है, जो अपने भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण करने में सक्षम है.
आज भी कई लोग कामधेनु की मूर्ति को घर, दुकान या ऑफिस में रखने से अखंड लक्ष्मी कृपा, शांति और समृद्धि की प्राप्ति का अनुभव करते हैं. आइए जानते हैं इस मूर्ति को घर में रखने के लाभ, पूजा विधि और शुभ समय.

कामधेनु कौन है?
कामधेनु स्वर्गलोक की एक दिव्य गौमाता मानी जाती है, जिनका उल्लेख वेदों और पुराणों में बार-बार आता है. ऐसी मान्यता है कि कामधेनु के पास 14 रत्नों की शक्ति होती है, और वह ब्रह्मांड की सभी सकारात्मक ऊर्जाओं की स्रोत हैं.
कामधेनु मूर्ति रखने से होते हैं ये चमत्कारी लाभ:
1. धन की वृद्धि- घर में धन आने के स्रोत बढ़ते हैं और स्थायी लक्ष्मी कृपा बनी रहती है.
2. पारिवारिक शांति- घर का माहौल शांत, प्रेमपूर्ण और सकारात्मक बना रहता है.
3. वास्तु दोष और नकारात्मक ऊर्जा का नाश- जहां कामधेनु की मूर्ति होती है, वहां नज़र दोष, वास्तु दोष और दुर्भाग्य का असर नहीं होता.
4. संतान सुख और सौभाग्य- संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाले दंपतियों को भी लाभ होता है.
5. व्यवसाय और करियर में सफलता- दुकान, ऑफिस या फैक्ट्री में रखने पर बिजनेस में उन्नति मिलती है.
मूर्ति रखने का शुभ स्थान:
कामधेनु की मूर्ति को उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) में रखें — यह दिशा ईश्वर, समृद्धि और ज्ञान की दिशा मानी जाती है, मूर्ति को धरती से कुछ इंच ऊपर लकड़ी या पीतल की चौकी पर रखें, इसके पास तुलसी का पौधा, दीपक और धूप जलाना शुभ माना जाता है.
पूजा का सही समय और विधि:
शुभ समय: शुक्रवार, अक्षय तृतीया, गौवत्स द्वितीया, दीपावली या शरद पूर्णिमा जैसे दिन कामधेनु स्थापना के लिए सर्वश्रेष्ठ माने जाते हैं. सुबह 6:00 से 9:00 बजे के बीच का समय सबसे शुभ रहता है.
पूजा विधि:
मूर्ति को गंगाजल या शुद्ध जल से साफ करें, हल्दी, चंदन, कुमकुम और फूल अर्पित करें, दीपक और धूप जलाएं, “ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं कमधेनु मातरै नमः” मंत्र का 11 या 108 बार जाप करें, मूर्ति के पास एक ताम्बे या चांदी का सिक्का रख दें – इसे “धन प्रतीक” माना जाता है.
क्या न करें:
मूर्ति को ज़मीन पर या शौचालय/रसोई के पास न रखें, टूटी-फूटी मूर्ति को घर में न रखें, कभी भी इसे अपवित्र हाथों से न छुएं.