सावन का महीना जितना धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण है, उतना ही यह महिलाओं के लिए सौंदर्य, श्रृंगार और आस्था का प्रतीक भी है. इस पवित्र महीने में हरी चूड़ियां पहनने की परंपरा न सिर्फ देवी-देवताओं को प्रसन्न करने के लिए निभाई जाती है, बल्कि इसके पीछे कई गूढ़ धार्मिक और वैज्ञानिक कारण भी हैं.
हरी चूड़ियों का सावन में महत्व:
श्रावण मास यानी भक्ति, श्रद्धा और सौंदर्य का पर्व. इस महीने का हर दिन भगवान शिव की आराधना को समर्पित होता है, लेकिन इसी पावन मास में महिलाओं और कन्याओं द्वारा हरी चूड़ियां पहनना भी एक खास परंपरा का हिस्सा है.

1. शिव-पार्वती की कृपा पाने का प्रतीक- सावन भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित होता है. हरा रंग जीवन, उर्वरता और सौभाग्य का प्रतीक है. मान्यता है कि इस महीने हरी चूड़ियां पहनने से कुंवारी लड़कियों को मनचाहा वर मिलता है और विवाहित महिलाओं का वैवाहिक जीवन सुखमय रहता है.
2. सुहाग का प्रतीक- चूड़ियां भारतीय नारी के सुहाग का प्रतीक मानी जाती हैं. खासकर हरे रंग की चूड़ियां, जो कि सौभाग्य, समृद्धि और संतुलन का रंग है, उसे सावन में पहनना अत्यंत शुभ माना गया है.
3. प्रकृति के साथ जुड़ाव- सावन का महीना हरियाली, वर्षा और नई ऊर्जा से भरा होता है. हरा रंग उसी प्राकृतिक शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है, जिससे महिलाएं मानसिक रूप से भी सकारात्मक महसूस करती हैं.
कुंवारी और विवाहित महिलाओं के लिए अलग-अलग लाभ:
.कुंवारी लड़कियों के लिए: अच्छे वर की प्राप्ति की कामना पूरी होती है, विवाह के योग मजबूत होते हैं, सौंदर्य और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है.
.विवाहित महिलाओं के लिए: पति की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति, वैवाहिक जीवन में प्रेम और सामंजस्य बढ़ता है, संतान सुख और पारिवारिक समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है.
हरी चूड़ियां खरीदने का शुभ समय: श्रावण सोमवार (Sawan Somvar), हरियाली तीज, नाग पंचमी, मंगला गौरी व्रत का दिन, इन दिनों हरी चूड़ियां खरीदना और पहनना अत्यंत शुभ और फलदायी माना गया है.
हरी चूड़ियां पहनने की विधि:
सबसे पहले चूड़ियां खरीदने से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें, ओम् नमः शिवाय का जाप करते हुए हरी चूड़ियों को दाहिने हाथ में पहले पहनें (विवाहित महिलाओं के लिए), चूड़ियों को शिवलिंग या माता गौरी के चरणों में अर्पित कर फिर स्वयं पहनें, यदि किसी विशेष मनोकामना के लिए पहन रही हैं, तो उसे मन ही मन दोहराएं.