
सावन का महीना शिवभक्ति, उपवास और संयम का पावन समय माना जाता है. लाखों श्रद्धालु इस दौरान सोमवार का व्रत रखते हैं और भोलेनाथ की आराधना करते हैं. हालांकि यह व्रत बहुत पुण्यदायी माना गया है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि सावन सोमवार का व्रत हर किसी के लिए नहीं होता?
शास्त्रों और आयुर्वेद के अनुसार, कुछ लोगों के लिए यह व्रत करना न केवल अनुचित होता है बल्कि हानिकारक भी हो सकता है.
आइए जानते हैं किन लोगों को सावन व्रत से परहेज करना चाहिए और इसके पीछे क्या हैं धार्मिक और स्वास्थ्य संबंधी कारण.
किन लोगों को सावन व्रत से परहेज करना चाहिए

1. गर्भवती महिलाएं – सेहत और शिशु पर असर गर्भावस्था में व्रत रखना कई बार शरीर में पोषक तत्वों की कमी कर सकता है, जिससे मां और गर्भस्थ शिशु दोनों को नुकसान हो सकता है. डॉक्टर भी सलाह देते हैं कि इस दौरान भूखा रहना या लंबा उपवास ठीक नहीं होता. अगर व्रत रखना ही हो तो फलाहार या पौष्टिक लिक्विड डाइट के साथ करें.
2. बुजुर्ग व्यक्ति – उम्रदराज लोगों की पाचन क्रिया और ऊर्जा स्तर अक्सर कम होता है, लिक्विड की कमी और भूखा रहने से कमजोरी, चक्कर और बीपी गिरने की आशंका हो सकती है. ऐसे लोग केवल मानसिक व्रत (जप, ध्यान) करें और संतुलित आहार लें.
3. रोगी और दवा लेने वाले लोग- जो लोग डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, थायरॉइड, एसिडिटी या हार्ट प्रॉब्लम जैसी बीमारियों से ग्रस्त हैं, उन्हें व्रत से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लेनी चाहिए, उपवास से ब्लड शुगर का स्तर गिर सकता है या दवाओं का असर गड़बड़ा सकता है.
4. बच्चे और किशोर – व्रत नहीं, भक्ति जरूरी बढ़ते बच्चों को संतुलित आहार और पर्याप्त पोषण की जरूरत होती है, ऐसे में उपवास या लंबे समय तक भूखा रहना उनके विकास पर असर डाल सकता है. बच्चों को व्रत के बजाय शिव मंत्रों का जप और जल चढ़ाने जैसी पूजा में शामिल करें.
5. मानसिक तनाव या डिप्रेशन से जूझ रहे लोग- उपवास के दौरान शारीरिक ऊर्जा में गिरावट आती है, जो तनावग्रस्त या अवसाद से पीड़ित लोगों के लिए और अधिक नुकसानदेह हो सकता है। मन और शरीर दोनों को संतुलित रखना जरूरी है.
क्या व्रत से वंचित रहना ही सही है? शास्त्रों में व्रत के कई स्तर बताए गए हैं, यदि कोई व्यक्ति उपवास नहीं कर सकता तो वह केवल फलाहार कर सकता है, सिर्फ जल या दूध का सेवन कर सकता है, अथवा केवल मानसिक व्रत (जप, ध्यान, पाठ) कर सकता है. शिव भक्ति में भावना सबसे बड़ी होती है, व्रत की कठोरता नहीं.