महारानी एलिजाबेथ द्वितीय का निधन, शाही परंपरा के एक युग का अंत

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राजकुमार जैन

गुरुवार, 08 सितंबर, 2022 को बाल्मोराल कैसल में ब्रिटिश राजघराने की वरिष्ठतम सदस्य महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के निधन के बाद से ही ब्रिटेन शोक की लहर में डूबा हुआ है। वे 96 वर्ष की थीं और कुछ समय से बीमार थीं. उन्होने सात दशक तक ब्रिटेन सहित 14 अन्य देशों की की महारानी की जिम्मेदारी संभाल कर राजगद्दी पर सबसे लंबे समय तक काबिज रहने का रिकॉर्ड बनाया।

इस वक्त जब देश दुनिया के शीर्ष नेता महारानी के निधन पर शोक व्यक्त कर रहे हैं तब हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है। मोदी ने कहा, महारानी एलिजाबेथ द्वितीय को हमारे समय की एक दिग्गज के रूप में याद किया जाएगा। उन्होंने सार्वजनिक जीवन में गरिमा और शालीनता का परिचय देकर अपने देश और लोगों को प्रेरक नेतृत्व प्रदान किया। उनके निधन से मैं आहत हूं। इस दुख की घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और ब्रिटेन के लोगों के साथ हैं।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ब्रिटेन दौरे को याद करते हुए लिखा कि 2015 और 2018 में यूके की अपनी यात्राओं के दौरान मेरी महारानी एलिजाबेथ-2 के साथ यादगार मुलाकातें हुईं। मैं उनकी गर्मजोशी और दयालुता को नहीं भूलूंगा।
महारानी एलिज़ाबेथ द्वितीय, एलिजाबेथ एलेक्जेंड्रा मैरी विंडसर का जन्म सुबह 2:40 पर 21 अप्रैल, 1926 को इंग्लैंड के लंदन में 17 ब्रूटन स्ट्रीट में हुआ था। उस समय, उनके दादा किंग जॉर्ज पंचम यूनाइटेड किंगडम के राजा थे और राजा के दूसरे बेटे एल्बर्ट, ड्यूक ऑफ यॉर्क, जो बाद में जार्ज छठे के तौर पर जाने गए उनके पिता थे। उनकी मां एलिज़ाबेथ, ड्यूक की डचेज़ थी। वही बाद में एलिजाबेथ के नाम से जानी गई। और महारानी को एलिज़ाबेथ द्वितीय के तौर पर जाना गया।

यूनाइटेड किंगडम की राजकुमारी के रूप में, एलिजाबेथ का लालन पालन अत्यंत लाड़ प्यार से हुआ था। उनकी प्राथमिक शिक्षा विंडसर ग्रेट पार्क स्थित घर पर ही माँ और निजी शिक्षकों द्वारा हुई। उन्हें घोड़ों व पालतू कुत्तों से बेहद लगाव था। वह बेहद अनुशासन प्रिय होने के साथ ही जिम्मेदार स्वभाव वाली थीं। उनकी बहन मार्गरेट र्होड्स बताती थी एलिज़ाबेथ एक छोटी सी चुलबुली लड़की थी लेकिन स्वभाव से बेहद संवेदनशील व सभ्य थी। राजकुमारी एलिज़ाबेथ की पहचान एक मज़बूत चरित्र और ज़िम्मेदार रवैये वाली बालिका के रूप मे बनी थी। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, उन्होंने अन्य बच्चों के मनोबल को बढ़ाने के लिए रेडियो प्रसारण किए।

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धर्मार्थ संगठनों की सहायता की और 18 वर्ष की आयु में वुमेन्स ऑक्ज़िलेरी टेरिटॉरियल सर्विस (महिला सहायक क्षेत्रीय सेवा) से जुड़ीं और ड्राइवर तथा मेकैनिक के रूप में प्रशिक्षित हुईं। 8 वर्ष की अल्प आयु मे 1934 में राजकुमारी एलिज़ाबेथ अपने भावी पति और एक ग्रीक राजकुमार फ़िलिप से पहली बार मिलीं जिनके परिवार को 1922 में ज़बरदस्ती देश से निकाल दिया गया था। 1939 में और एक मुलाकात के बाद, 13 वर्ष की उम्र में जब राजकुमारी एलिज़ाबेथ ने घोषणा कर दी कि वह फ़िलिप से प्रेम करती हैं। फिलिप तब रॉयल नौसेना के एक अधिकारी कैडेट थे।

जुलाई 1947 में उनकी सगाई की घोषणा हुई और 20 नवंबर को वेस्टमिन्स्टर ऐबी में उनका विवाह हुआ। उसी दिन, राजकुमार फ़िलिप को ऐडिन्बर्ग के ड्यूक की उपाधि दे दी गई। उनके पुत्र प्रिंस चार्ल्स का जन्म 1948 में हुआ। इसके बाद 1950 में बकिंघम पैलेस में राजकुमारी ऐनी का जन्म हुआ था। 1950 की शुरुआत में, एलिजाबेथ के पिता फेफड़ों के कैंसर से बीमार हो गए। जैसे-जैसे उनकी हालत खराब होती गई, एलिजाबेथ को ब्रिटिश सम्राट के कुछ कर्तव्यों को निभाने के लिए मजबूर होना पड़ा।

6 फरवरी 1952 को जब शाही दंपती केन्या की यात्रा पर थे तब पहले से बीमार चल रहे किंग जार्ज छठे की मौत की खबर आई और युवा एलिज़ाबेथ के लिए सब कुछ बदल गया। अपनी यात्रा से वो एक महारानी के तौर पर लौंटी। 2 जून 1953 को वेस्टमिंस्टर एबी में उनका राज्याभिषेक किया गया। तब से अब तक दुनिया के सबसे मजबूत और चर्चित राजघराने की बागडोर सम्हालते हुए वह ब्रिटेन के 14 प्रधानमंत्रियों के साथ काम कर चुकी थीं। 15वीं पीएम लिज ट्रस के साथ काम करने से पहले ही वह दुनिया से अलविदा कह गई।

हालांकि महारानी तकनीकी रूप से ब्रिटिश सरकार की राज्य प्रमुख होती हैं, लेकिन वह शायद ही कभी राजनीति में शामिल होती हैं। एक सार्वजनिक दृष्टिकोण से सीधे राजनीति में शामिल नहीं होने के बावजूद, क्वीन एलिजाबेथ सप्ताह में एक बार प्रधान मंत्री के साथ बैठक करती थी इन मुलाकातों के दौरान, प्रधान मंत्री सरकार के मुद्दों और राज्य के मामलों पर रानी को जानकारी देते हैं। अपने शासनकाल के शुरुआती भाग में, विंस्टन चर्चिल जैसे ऊंचे कद के प्रधानमंत्रियों ने युवा महारानी को सलाह दी।

एक महारानी के रूप मे उसके हर कदम को जनता और प्रेस द्वारा जांचा-परखा जाता था। युवा एलिजाबेथ ने हर दबाव का कुशलता से सामना किया। वो कर्तव्य पालन की मजबूत भावना के साथ शासन करती थी। राजगद्दी पर आसीन होने पर उन्होने कहा था कि मैं आप सभी के सामने घोषणा करती हूं कि मेरा पूरा जीवन, चाहे वह लंबा हो या छोटा, वह आपकी और हमारे महान शाही परिवार की सेवा के लिए सदा समर्पित रहेगा। वे बातें जिनकी मैंने यहां प्रतिज्ञा ली है, मैं उन्हें करूंगी और निभाउंगी, भगवान मेरी सहायता करे।

1953 में ब्रिटेन अभी भी द्वितीय विश्व युद्ध के साए में जी रहा था। चीनी और मांस पर राशन अभी भी लागू था जो बहुत ही अलोकप्रिय था। कई शहर में नागरिक अभी भी उन स्थानों से डरते थे जहां बम फटे थे। ब्रिटेन के दुनिया की महाशक्तियों में से एक होने की स्थिति पर खतरा मंडरा रहा था और साम्राज्य हाथ से निकलते जा रहा था। उस समय उन्होंने विदेश और राष्ट्रमंडल राज्यों की अनगिनत यात्राएं की और इतिहास में सबसे अधिक यात्रा करने वाली राज्य प्रमुख बन गईं। उन्होंने 130 से अधिक देशों का दौरा किया है।

1970 में वह विशेष रूप से व्यस्त थीं जब उन्होंने 73 यात्राएँ कीं और 48 विभिन्न देशों का दौरा किया था। उनके शासन काल में यूनाइटेड किंगडम और उसके बाहर की दुनिया में देखने योग्य और प्रभावशाली बदलाव हुए। सिंहासन पर सात दशक पूरे करने वाली महारानी एलिजाबेथ अभूतपूर्व सामाजिक परिवर्तन की गवाह रहीं, ब्रिटेन में आई मुश्किल की हर घड़ी में वो एक चट्टान की तरह अडिग खड़ी रहीं।

दूसरे विश्व युद्ध में जीत हासिल करने के बाद भी ब्रिटेन कमजोर पड़ गया था। इसका नतीजा ये हुआ कि दुनिया के जिन देशों में ब्रिटेन ने उपनिवेश बनाए थे। वहां से उसका हटना शुरू हो गया। साल 1961 में एक ऐसा वक्त आया था जब महज 25 साल की एक महारानी ने घाना का दौरा किया। इस यात्रा ने महारानी के तौर पर उनके कद को दुनिया की नजरों में ऊंचा कर दिया। तब 1957 में आजाद हुआ ये देश भयंकर हिंसा के दौर से गुजर रहा था। महारानी के दौरे से केवल 5 दिन पहले यहां एक भयंकर बम हमला हुआ था।

यहां के शासक ने एक युवा महारानी के साथ मिलकर काम करने पर सहमति दी। इस कदम ने कॉमनवेल्थ देशों पर गहरा असर डाला। एलिज़ाबेथ द्वितीय अपने शासन काल में बड़ी-बड़ी मुश्किलों से भी नहीं घबराईं। मॉर्गेट थेचर से उनकी कई मामलों पर नहीं बनी। लेकिन तब भी उन्होंने सफलता से सत्ता चलाई। आपको यह जानकार आश्चर्य होगा कि यूनाइटेड किंगडम की इस महारानी के पास पासपोर्ट नहीं था, क्योंकि देश के नागरिकों को वही पासपोर्ट जारी करती थीं। साल 1951 में एलिजाबेथ अमेरिकी राष्ट्रपति हैरी एस. ट्रूमैन से एक राजकुमारी के तौर पर मिली थीं, लेकिन1957 में किए गए अमेरिकी दौरे पर वह तत्कालीन राष्ट्रपति ड्वाइट डी. आइजनहावर से महारानी के रूप में मिली।

महारानी एलिजाबेथ-II ने 1957 में ने पहली बार टीवी के माध्यम से लोगों को संबोधित किया। पॉपुलर म्यूजिक बैंड ‘बीटल्स’ अक्टूबर 1965 में महारानी से मिलने बकिंघम पैलेस गया था। महारानी ने 1986 ने चीन का दौरा किया। ये पहला मौका था जब ब्रिटेन की कोई महारानी चीन गई हों। ग्लोबल गुडविल टूर में चंद्रमा पर जाने वाले पहले शख्स नील आर्मस्ट्रांग, बज एल्ड्रिन और माइकल कोलिंस ने 14 अक्टूबर 1969 को बकिंघम पैलेस में महारानी एलिजाबेथ से मुलाकात की थी। महारानी ने जुलाई 1996 में साउथ अफ्रीका के राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला को बकिंघम पैलेस में आमंत्रित किया था।

महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के बाद इस राजघराने के उत्तराधिकारियों की सूची में महारानी एलिजाबेथ द्वितीय और प्रिंस फिलिप के चार बच्चे चार्ल्स, एनी, एंड्रयू और एडवर्ड एवं उनकी संतानें शामिल हैं। हालांकि, शाही परिवार के नियमानुसार, राजघराने की बागडोर सबसे वरिष्ठ सदस्य के हाथ में रहती है, जिसके अनुसार यह जिम्मेदारी अब उनके बेटे प्रिंस चार्ल्स को मिलेगी। राज महल के अधिकारियों ने बताया कि ब्रिटेन के नए राजा को महाराज चार्ल्स तृतीय के नाम से जाना जाएगा। तिहत्तर वर्षीय चार्ल्स ब्रिटिश सिंहासन पर काबिज होने वाले सबसे उम्रदराज व्यक्ति होंगे।