प्रो. रामाधर सिंह को अनुसंधान उत्कृष्टता के लिए लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार से किया सम्मानित

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सैरी 2021 का हुआ समापन

समापन में प्रो. हिमाँशु राय, निदेशक, आईआईएम इंदौर; प्रो. रामाधर सिंह, विशिष्ट विश्वविद्यालय के प्रोफेसर, अहमदाबाद विश्वविद्यालय; प्रो. निशांत जैन, कार्यक्रम निदेशक, जीआईजेड में यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज, भारत-जर्मन कार्यक्रम; प्रो. प्रीतम रंजन, डीन-रिसर्च, आईआईएम इंदौर और प्रो. संजीव त्रिपाठी, फैकल्टी, आईआईएम इंदौर मौजूद रहे ।

पहली बार, सैरी2021 में अनुसंधान उत्कृष्टता के लिए एक लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार भी पेश किया गया जो प्रोफेसर रामाधर सिंह, अहमदाबाद विश्वविद्यालय को प्रदान किया गया । प्रो. सिंह को यह पुरस्कार संज्ञानात्मक और सामाजिक विकास, विविधता और निष्पक्षता, अंतरसमूह संबंध, नौकरी से संतुष्टि, प्रभाव निर्माण, पारस्परिक आकर्षण, निर्णय क्षमता और निर्णय लेने, नेतृत्व और प्रदर्शन के पूर्वानुमान पर प्रबंधन और मनोवैज्ञानिक साहित्य में उनके बुनियादी योगदान के लिए मिला है । प्रो. हिमाँशु राय, निदेशक, आईआईएम इंदौर ने उन्हें इस पुरस्कार से सम्मानित किया और प्रशस्ति पत्र का वाचन किया।

शोध में अपने 60 वर्षों के कार्य अनुभव को साझा करते हुए, प्रो. रामाधर सिंह ने कहा कि भारतीय स्कॉलर भी रिसर्च में उतना ही उल्लेखनीय योगदान देते हैं जितना कि किसी अन्य देश के स्कॉलर। ‘अगर हम हमारे कार्य के प्रति जूनून रखें, उस कार्य से प्रेम करें और उसपर पूर्ण विश्वास रखें; तोपैसा, पद और सफलता हमारे पास अपने आप आती ​​है’, उन्होंने कहा। उन्होंने प्रतिभागियों को सलाह दी कि हर अवसर का उपयोग करें। उन्होंने कहा कि उन्हें अपने शोध के प्रति समर्पित रहने और नई चीजों को खोजने औरसीखनेके लिए उत्सुक होने की आवश्यकता है। उन्होंने सम्मान के लिए आईआईएम इंदौर को धन्यवाद दिया।

प्रो. हिमाँशु राय ने शोधकर्ताओं के लिए प्रासंगिक तीन ‘यम’—सत्य (सच्चाई) को साझा किया; अस्तेय (चोरी न करना) और अपरिग्रह (लगाव न रखना) और तीन ‘नियम’-संतोष (संतुष्टि), तप (कड़ी मेहनत) और स्वाध्याय (सीखना) की चर्चा की। उन्होंने प्रतिभागियों को सलाह दी कि वे अपने काम के प्रति ‘सच्चे’ बने रहें और उस पर गर्व करें; विचारों औरसुझावों के प्रति सही निर्णय लें निष्काम कर्म के तहत समझें की वह हर शोध, हर ज्ञान जो उन्होंने अर्जित किया है, वह केवल उनका ही नहीं है, उस पर बहुत से लोगों का अधिकार है। ‘आपके पास मौजूद संसाधनों से आपको संतुष्ट और खुश रहना चाहिए। आपको एक महान शोध करने के लिए बहुत से संसाधनों कि नहीं, अपितु प्रयासों और दृढ़ विश्वास की आवश्यकता है। शोध एक ‘तपस्या’ की तरह है –इसमें कड़ी मेहनत और दृढ़ता की आवश्यकता है । ‘जितना अधिक आप सीखते हैं, जितना अधिक आप पढ़ते हैं, उतना ही आपको एहसास होता है कि आप कितना कुछ नहीं जानते हैं। सीखने के लिए बहुत कुछ है – इसलिए सीखते रहें, क्योंकि यह आपको एक महान शोधकर्ता बनने में मदद करेगा’, उन्होंने कहा।

प्रो. निशांत जैन ने कहा कि सैरी हमेशा सिद्धांत और व्यवहार के बीच सम्बन्ध मजबूत करने की कोशिश करता है और इसलिए यह कांफ्रेंस वर्तमान परिदृश्य में काफी प्रासंगिक है। ‘सरकारी सेवाओं के साथ काम करते समय, अक्सर यह देखा जाता है कि अनुसंधान उतना मजबूत नहीं है  जितना होना चाहिए। महामारी के बीच अब हम परिवर्तनकारी समय में हैं। जिस तरह से चीजें अतीत में हुई थीं, अब वह भविष्य में नहीं होंगी। इसलिए, हमें अतीत से सीखने, बदलने, अनुकूलित करने और अतीत में हमने जो सीखा है उससे आगे बढ़कर नए समाधान खोजने की जरूरत है।’

इस मौके पर बेस्ट पेपर अवॉर्ड्स की भी घोषणा की गई। पुरस्कार निम्नलिखित द्वारा प्राप्त किए गए:

विजेता – सुश्री गरिमा गोयल, आईआईएम इंदौर, ‘इन्वेस्टर्स सेंटिमेंट एंड गवर्नमेंट पॉलिसी इंटरवेंशन: एविडेंस फ्रॉम कोविड19’ शीर्षक वाले अपने पेपर के लिए, 20,000 रूपए का नकद पुरस्कार मिला।

प्रथम उपविजेता – सुश्री महक बिसेन, आईआईटी मद्रास, ‘मोर्फोलोजिकल एनालिसिस ऑफ़ रिसर्च लिटरेचर ऑन स्ट्रेटेजिक रिसर्च एंड डेवलपमेंट मैनेजमेंट’ शीर्षक वाले पेपर के लिए 15,000 रूपए का नकद पुरस्कार मिला।

द्वितीय उपविजेता – श्री अब्राहम सिरिल इसाक, आईआईटी मद्रास और स्विनबर्न यूनिवर्सिटी ऑफ़ टेक्नोलॉजी मेलबर्न; डॉ. टिम बेडनॉल, स्विनबर्न यूनिवर्सिटी ऑफ़ टेक्नोलॉजी मेलबर्न; डॉ. रूपश्री बराल, आईआईटी मद्रास, ‘इफेक्ट्स ऑफ़ पॉवर ऑन नॉलेज शेयरिंग एंड हाईडिंग’ शीर्षक वाले अपने पेपर के लिए 10,000 रुपये का नकद पुरस्कार मिला।

कांफ्रेंस के दूसरे दिन प्रोफेसर श्रीनिवास गुंटा, फैकल्टी, आईआईएम इंदौर द्वारा केस टीचिंग पर एक कार्यशाला हुई। प्रो. अभिषेक बहल, जिंदल ग्लोबल बिजनेस स्कूल और प्रो. चेतना चौहान, फोर स्कूल ऑफ मैनेजमेंट द्वाराप्रबंधन शिक्षा और शोध पर कोविड19 का प्रभाव’ विषय पर एक सत्र भी आयोजित किया । सत्र का संचालन प्रो. जतिन पांडेय,फैकल्टी, आईआईएम इंदौर द्वारा किया गया।

सम्मेलन के अंतिम दिन विषय विशेषज्ञों के साथ दो अन्य पूर्ण सत्र हुए। पहला सत्र भारतीय अर्थव्यवस्था पर कोविड-19 का प्रभाव: एक औद्योगिक परिप्रेक्ष्य; श्री ऋषि संवाल, उद्यमी और अतिथि संकाय और डॉ अमिताभ घोष, वरिष्ठ सहयोग प्रबंधक, कॉग्निजेंट के साथ हुआ । ‘महामारी के बाद सतत पुनर्निर्माण ‘ पर अंतिम पूर्ण सत्र प्रोफेसर एलएस गणेश, आईआईटी मद्रास; प्रो. अर्पण कुमार कर, आईआईटी दिल्ली और प्रो. विशाल गुप्ता, आईआईएम अहमदाबाद द्वारा आयोजित किया गया । सभी सत्र प्रतिभागियों के लिए बेहद उपयोगी साबित हुए।

धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।