नई दिल्ली। गुजरात की सूरत कोर्ट ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को 2 साल की सजा सुनाई थी, उसके बाद कल यानी शुक्रवार को उनकी लोकसभा सदस्यता भी रद्द कर दी गई थी। अब सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है, जिसमें मांग उठी है कि, विधायी संस्थानों के चुने हुए प्रतिनिधियों को दोषी पाए जाने के बाद उन्हें अपने आप ही अयोग्य घोषित नहीं किया जाना चाहिए।
जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951के सेक्शन 8(3) को सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका के जरिये चुनौती दी गई है। सुप्रीम कोर्ट में पीआईएल दाखिल करते हुए कहा गया है कि अधिनियम के चैप्टर-III के तहत अयोग्यता पर विचार करते समय कई कारकों की जांच की जानी चाहिए। यह याचिका ऐसे वक्त दायर की गई है, जब राहुल गांधी की संसद सदस्यता रद्द कर दी गई।
याचिका में कहा गया है कि धारा 8(3) के तहत प्रतिनिधियों को दोषी पाए जाने के बाद उन्हें अपने आप अयोग्य घोषित नहीं किया जाना चाहिए। जानकारी के लिए आपको बता दे कि, केरल की सामाजिक कार्यकर्ता आभा मुरलीधरन ने याचिका दायर कर इस कानून को चुनौती दी है। याचिका में यह भी कहा गया है कि आरोपी के नेचर, गंभीरता, भूमिका जैसे कारकों की जांच की जानी चाहिए।