नितिनमोहन शर्मा
धर्मयोद्धा’ महंत लक्ष्मणदास जी महाराज की कर्मस्थली पंचकुइयां आश्रम को नया उत्तराधिकारी मिल गया। महंत रामगोपाल दास जी महाराज अब लक्ष्मणदास जी महाराज की विरासत को सम्भालेंगे। उत्तराधिकारी का ये चयन यू तो आसान था लेकिन एक पक्ष ने विरासत पर दांवा कर विवाद खड़ा कर दिया था। इस पक्ष ने महंत की मुखाग्नि के समय से जो विवाद खड़ा किया वो शनिवार को हुई महंताई तक कोर्ट तक जा पहुंचा था। हालांकि कोर्ट ने उत्तराधिकारी चयन की प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की रोक लगाने से इंकार कर दिया। रविवार को भी षोडशी भण्डारे के पहले दूसरे पक्ष में चादर विधि की बात कही थी लेकिन सब कुछ सामान्य ही रहा और भंडारा निर्विघ्न सम्पन्न हुआ।
इस पूरे मामले की बिछात मुंबई में बिछाई गई थी। मलाड का धर्मस्थल इसका केंद्र बना। वहां की बिसात पर इन्दौर के विरोध को मात दी गई। डाकोर ख़ालसा के माधवाचार्य जी महाराज और मुलुक पीठाधीश्वर डॉ राजेंद्रदास देवाचार्य जी महाराज के अगुवाकर होने से गादी का ग़दर सहजता से शांत हो गया। धर्म क्षेत्र के इस काम मे राजनीति भी पहले दिन से सक्रिय थी। विधायक रमेश मेंदोला इस मामले में बड़े किरदार बने। मेंदोला ने न केवल स्थानीय स्तर के विरोध को थामा बल्कि आश्रम के ट्रस्टियों को भी महंत रामगोपाल दास महाराज के पक्ष में एकजुट किया। इस काम मे उन्हें आरएसएस के साथ साथ सरकार और स्थानीय प्रशासन का भी साथ मिला।
मुम्बई, मलाड और महंताई
गादी के ग़दर पर विराम में मुम्बई के मलाड स्थित आश्रम की भूमिका अहम रही। ये बेशकीमती आश्रम डाकोर ख़ालसा के संत माधवाचार्य जी का ठिकाना है। माधवाचार्य अखाड़ा सम्प्रदाय के बड़े संत हैं और आरएसएस प्रमुख से लेकर प्रधानमंत्री तक उनकी सीधी पकड़ है। पंचकुइयां आश्रम का आंशिक विवाद को विराम उनकी अगुवाई के कारण बड़ा रूप नही ले पाया। इस मामले में विधायक रमेश मेंदोला ने अहम भूमिका निभाई।
वे आश्रम के ट्रस्टियों को लेकर मुम्बई गए। वहां बेठकर माधवाचार्य जी को समस्त स्थिति से अवगत कराया गया। बताया गया कि आश्रम की करोड़ो की बेशकीमती मिल्कियत को संभालना है तो रामगोपाल दास जी महाराज जैसे संत की ताजपोशी ही आश्रम हित मे रहेगी। उसके बाद माधवाचार्य जी के इंदौर आ जाने से रहा सहा विरोध भी दम तोड़ गया। राधे राधे बाबा ने भी इसमे अहम भूमिका निभाई।
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विरोधी पक्ष कोर्ट तक गया, नही मिला स्टे
आश्रम की विरासत के फैसले के विरुद्ध एक पक्ष कोर्ट तक गया और चादर ओढाई की प्रक्रिया पर रोक की मांग की गई। सूत्र बताते है कि इस मामले में विरोधी पक्ष को कोर्ट से कोई राहत नही मिली। अलबत्ता कोर्ट में 5 जनवरी तक आश्रम से इस सम्बंध में नोटिस जारी कर वस्तुस्थिति मांगी है। उसके पहले ही महंताई की विधि पूर्ण कर ली गई। आश्रम व्यवस्था और अखाड़ा परिषद के विधान के मुताबिक इस प्रकरण का पटाक्षेप हो गया है।
आश्रम के पास करोड़ो की बेशकीमती जमीन
आश्रम के पास करोड़ो की बेशकीमती जमीन है। इस जमीन पर लम्बे समय से जमीन के जादूगरों की नजर है। महंत लक्ष्मणदास जी ने इस जमीन की जीवन पर्यंत रक्षा की। बावजूद इसका एक बड़ा हिस्सा भूमाफियाओं ने हड़प लिया। आश्रम से लगकर भी कई कमर्शियल प्लॉट खड़े हो गए। नए महंत रामगोपाल दास जी के लिए भी आश्रम की मिल्कियत को सहेज कर रखने की चुनौती रहेगी।
खजराना, रणजीत जैसा हो विकास
पंचकुइयां आश्रम प्राकृतिक रूप से बेहद सुरम्य स्थान है। बीच शहर में इतना बड़ा आश्रम है ही नही। अब आश्रम का विकास खजराना गणेश मंदिर और रणजीत दरबार जैसा होना चाहिए। सरकार ने 1992 और 2004 सिहंस्थ के समय आश्रम में विकास कार्य किये थे। उसके बाद से जो भी विकास हुआ आश्रम और मंदिर ने ही किया।