विश्व कपास दिवस के अवसर पर, सॉलिडारिडाड , अलायन्स ऑफ़ कॉटन एंड टेक्सटाइल स्टेकहोल्डर्स (ACRE) एवं सेंटर फॉर रिस्पॉन्सिबल बिजनेस (सीआरबी) के साथ मिलकर सोमवार को इंपीरियल हॉल, ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर, इंदौर में ‘भारत में पुनर्योजी कृषि कपास मूल्य श्रृंखला को बढ़ावा देने में अवसर और चुनौतियाँ’ विषय पर एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया ।
इस अवसर पर कपास उत्पादन एवं इसकी मूल्य श्रृंखला से जुड़े हुए विभिन्न विशेषज्ञों, स्थायी उत्पादन के क्षेत्र में कार्य कर रहे प्रबंधकों एवं कपास उत्पादन से जुड़े कृषकों ने इस संगोष्ठी में भाग लिया जिसका मूल उद्देश्य भारत में कपास उत्पादन के क्षेत्र में पुनर्योजी विधि को बढ़ावा देने हेतु एक मज़बूत मंच तैयार किया जा सके जो संवाद एवं अभिनव प्रयासों के माध्यम से देश में कपास उत्पादन अर्थ व्यवस्था एवं इसकी मूल्य श्रृखला को स्थायित्व प्रदान कर सके.
संगोष्टी के माध्यम से सभी वक्ताओं ने कपास के प्रमाणित पुनर्योजी कृषको की सहभागिता एवं उनके विचारों को निति निर्धारण में महत्व देने पर भी बल दिया ताकि वस्त्र उद्योग के साथ एक संतुलन स्थापित हो सके .
सांसद माननीय श्री शंकर लालवानी ने कपास के महत्व का उल्लेख करते हुए कहा कि, “जहां तक कपास की खेती का सवाल है, मध्य प्रदेश में पर्याप्त संभावनाएं तलाशी जा सकती हैं। वर्तमान में, पारंपरिक खेती से पुनर्योजी कृषि में रूपांतरण कपास की खेती के लिए एक वरदान है। सॉलिडेरिडाड कपास किसानों के बीच पुनर्योजी कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देने की दिशा में काम कर रहा है। सरकार मध्य प्रदेश में कपास का क्षेत्र बढ़ाने की दिशा में भी काम कर रही है। इसके मद्देनजर, हम धार जिले के में रु10,000 करोड़ का कॉटन और टेक्सटाइल हब स्थापित कर रहे हैं। किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिले, इसके लिए हम लगातार प्रयास कर रहे हैं और आगे भी करते रहेंगे।”
संबोधन के बाद, लालवानी जी ने मूल्य श्रृंखला में पुनर्योजी कृषि प्रथाओं का समर्थन करने और कपास में ग्रामीण उद्यमियों, किसान उत्पादक कंपनियों और छोटे पैमाने के ग्रामीण व्यवसायों के लिए सक्रिय रूप से अवसर पैदा करके कपास क्षेत्र में ग्रामीण उद्यमिता का समर्थन करने के लिए एक सहमति पत्र पर भी हस्ताक्षर किए।
उद्घाटन सत्र के अवसर पर संगोष्ठी को संबोधित करते हुए , डॉ सुरेश मोटवानी, महाप्रबंधक, सॉलीडरीडाड ने कहा की “ आज विश्व कपास दिवस के अवसर हमे याद रखना चाहिए की कपास न केवल एक फसल है बल्कि देश के लाखों किसानो एवं परिवारों के जीवन का आधार है . कपास उत्पादन से जुड़े तकनीक एवं ज्ञान विस्तार के क्षेत्र में कार्यशील संस्था के रूप में सॉलिडरीडाड , मध्य प्रदेश , तेलंगाना एवं महाराष्ट्र राज्य में कपास उत्पादन से जुड़े दो लाख किसानो के बीच काम कर रहा है . अगर हम भविष्य की ओर देखे तो स्थायी कपास उत्पादन एवं इसकी मूल्य श्रृंखला के संवर्धन की दिशा में कार्य करने की ज़रूरत आज से पहले कभी नहीं महसूस की गयी . पुनर्योजी कृषि और अभिनव समाधानों को अपनाकर, हम कपास उत्पादन को पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक समानता के लिए एक शक्ति में बदल सकते हैं, जिससे किसानों के लिए एक स्थायी आजीविका सुनिश्चित होगी और साथ ही भविष्य की पीढ़ियों के लिए हमारी कृषि पारिस्थितिकी सुरक्षित एवं संरक्षित बनी रहेगी ।”
इस अवसर पर “ एसीआरई” (ACRE) के प्रतिनिधि, श्री रंजीब सरमा ने कहा, “जैसा कि हम विश्व कपास दिवस मन रहे है हैं, हम इस बात को अच्छी तरह समझते है की पुनर्योजी कृषि तकनीक कपास उत्पादन के क्षेत्र एक परिवर्तनकारी बदलाव ला सकता है जिससे वर्तमान उत्पादन में आ रही चुनौतियों को काफी कम किया जा सकता । “एसीआरई “ मिट्टी से लेकर भण्डारण तक स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए कपास मूल्य श्रृंखला में नवाचार और सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। जलवायु अनुकूल तकनीक के साथ किसानों को सशक्त बनाने और वस्त्र उद्योग के हितधारकों के साथ साझेदारी को बढ़ावा देने के माध्यम से, हमारा लक्ष्य भारत को पुनर्योजी कपास उत्पादन में वैश्विक पटल पर अग्रणी देश के रूप में स्थापित करना है, जिससे हमारे किसानों और पर्यावरण दोनों के लिए एक अनुकूल भविष्य सुनिश्चित हो सके,”
इस अवसर पर कार्यक्रम को संबोधित करते हुए श्री रिजित सेनगुप्ता- मुख्य कार्यकारी अधिकारी, सेंटर फॉर रिस्पॉन्सिबल बिजनेस (CRB) ने कहा की “विश्व कपास दिवस पर, कपास उत्पादन के भविष्य को आकार देने में स्थायी पुनर्योजी विधियों की भूमिका को स्वीकार करना महत्वपूर्ण है। हमारा मानना है कि पुनर्योजी कृषि लाखों किसानों की आर्थिक भलाई के साथ पर्यावरणीय स्थिरता को संतुलित करने की कुंजी है। कपास मूल्य श्रृंखला में सहयोग को बढ़ावा देकर, हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि भारत का कपास उद्योग न केवल फले-फूले, बल्कि जिम्मेदार और समावेशी उत्पादन के लिए वैश्विक आंदोलन में भी योगदान दे।” -,
इस अवसर पर किसानों, प्रतिभागियों और उद्योग जगत से जुड़े विशेषज्ञों ने कपास मूल्य श्रृंखला में पुनर्योजी कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देने और ग्रामीण उद्यमियों, किसान उत्पादक कंपनियों और छोटे पैमाने के ग्रामीण व्यवसायों के लिए सक्रिय रूप से अवसर पैदा करके कपास क्षेत्र में ग्रामीण उद्यमिता स्थापित करने के लिए एक प्रतिज्ञान पत्र पर हस्ताक्षर किए। संगोष्ठी के दौरान कपास मूल्य श्रृंखला के विभिन्न पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करते हुए तीन व्यावहारिक विशेषज्ञ पैनल चर्चाएँ आयोजित की गईं। किसानों, सरकारी अधिकारियों और उद्योग विशेषज्ञों ने ACRE के दृष्टिकोण, पुनर्योजी कृषि अपनाने की दिशा में अवसरों और चुनौतियों में उद्योग के दृष्टिकोण और भविष्य उन्मुखी स्थायी कपास उत्पादन के लिए किसानो के सशक्तिकरण और उद्योग के दृष्टिकोण को बढ़ावा देने के तरीकों पर चर्चा की। संगोष्ठी का समापन धन्यवाद प्रस्ताव के साथ हुआ।
सॉलिडारिडाड के बारे में:
एक संसाधन संगठन के रूप में सॉलिडारिडाड लगातार उन किसानों को जमीनी स्तर पर विस्तार सेवाएँ प्रदान कर रहा है जो औपचारिक कृषि विस्तार सेवाओं की पहुँच से बाहर हैं। किसानों को जलवायु-अनुकूल तरीकों पर ज्ञान और कौशल के साथ सक्षम किया जाता है, ताकि पारिस्थितिक तरीकों के माध्यम से मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार हो, जल उपयोग दक्षता को बढ़ावा दिया जा सके और अच्छे पोषण और स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता पैदा किया जा सके।
ACRE के बारे में:
ACRE प्लेटफ़ॉर्म एक अग्रणी पहल है जिसे कपास किसानों को पुनर्योजी कृषि पद्धतियों को अपनाने में सहायता करने के लिए निर्मित किया गया है। यह क्षमता निर्माण, किसान आजीविका में सुधार और पुनर्योजी कपास के लिए एक सुरक्षित बाजार बनाकर स्थिरता को बढ़ावा देने पर केंद्रित है। अनुसंधान, हितधारक सहभागिता और सहयोगात्मक दृष्टिकोण के माध्यम से, ACRE भारत में विभिन्न कपास जगत से जुड़े भिन्न भिन्न पहलुओं पर काम करता है ताकि पर्यावरण संरक्षण, मृदा स्वास्थ्य और छोटे किसानों के लाभों को बढ़ावा मिले । मंच का उद्देश्य उपभोक्ताओं और कपास उद्योग के प्रतिनिधियों के बीच जागरूकता बढ़ाना भी है, जिससे पुनर्योजी विधि से उत्पादित कपास, मुख्यधारा का विकल्प बन सके।