माघी चतुर्थी कल 21 जनवरी को मनाई जाएगी। ज्योतिषियों का कहना है कि इस दिन न केवल व्रत का विधान है वहीं भगवान गणेशजी की आराधना, पूजन और अभिषेक करने से भी मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
माघ माह की इस चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी भी कहा जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन उपवास करने से संकट खत्म हो जाते है। गणेश भगवान की पूजन के साथ ही चंद्रोदय के बाद व्रत खोलने का विधान ज्योतिषियो ंने बताया है। माघ चतुर्थी को तिल चतुर्थी भी कहा जाता है और इस दिन तिल से भगवान गणेश की पूजा और तिल सेवन का भी विधान बताया गया है। सकट चौथ के दिन प्रात:काल में गंगाजल बाल्टी में डालकर स्नान करें. उसके बाद पीले या लाल वस्त्र धारण करें. पूजा स्थान की सफाई कर लें।
हाथ में जल, अक्षत् और फूल लेकर सकट चौथ व्रत एवं गणेश जी की पूजा का संकल्प लें। अब सुबह में दैनिक पूजा कर लें. इस दिन सौभाग्य योग सुबह से लेकर दोपहर 03 बजकर 06 मिनट तक है। सुबह 09:43 बजे तक मघा नक्षत्र है, जो मांगलिक कार्यों के लिए अच्छा नहीं है। सुबह 09:43 बजे के बाद सकट चौथ की पूजा करें ।
एक चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर गणेश जी की मूर्ति या तस्वीर को स्थापित करें। फिर गणेश जी का गंगाजल से अभिषेक करें फिर चंदन या रोली लगाएं। गणेश जी को तिल से बने खाद्य पदार्थों का भोग लगाएं। इसे तिल चौथ या तिलकुट चौथ भी इस वजह से कहते हैं। अब गणेश चालीसा का पाठ करें, फिर सकट चौथ व्रत कथा का श्रवण करें। इसके बाद चाहें तो गणेश मंत्र का जाप कर सकते हैं। पूजा के अंत में कपूर या गाय के घी वाले दीपक से गणेश जी की आरती करें। इसके बाद गरीब या किसी ब्राह्मण को दान करें। दिनभर निर्जला व्रत रहते हुए भगवत भजन करें। चौथ को चंद्रोदय रात 09:00 बजे होगा. चंद्रमा का दर्शन करें. जल में दूध, अक्षत्, शक्कर और फूल मिला लें और उसे अर्पित करें। अंत में गणेश जी के समक्ष जाकर प्रणाम करें और अपनी मनोकामना व्यक्त कर दें. फिर पारण करके व्रत को पूरा करें।