Indore News : अब रोटियां बनेगी रंगीन, इंदौर में जल्द मिलेगा नए किस्म का गेहूं

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इंदौर : अभी तक आपने किसानों को एक ही तरह के गेहूं की खेती करते देखा  ही अपने घरों में एक ही रंग के गेहूं से बनी रोटी देखी होगी परन्तु आज हम आपको ऐसे गेहूं के बारें में बताने जा रहे है, जिसके बारें में सुनकर आप चौंक जायेंगे और सोचने पर मजबूर हो जाएंगे की आखिर ये कैसे गेहूं।। तो आइयें हम आपको बताते है इससे जुड़ी पूरी खबर….

दरअसल, इंदौर के किसानों ने एक ऐसी किस्म के गेंहूँ का किस्म तैयार करने में सफलता हासिल की है जिसकी रोटियां रंगीन बनेगी। इतना ही नहीं गेहूं का रंग ही गोल्डन नहीं बल्कि काला, नीला ओर बैंगनी रंग का है, जिसकी रोटियां गुलाबी रंग की बनेगी। जानकारी के अनुसार लंबे प्रयास के बाद इंदौर के किसानों ने वैज्ञानिकों की सहायता से नए प्रकार के गेहूं की किस्म तैयार करने में सफलता हासिल कर ली। हालांकि इसके लिए सामान्य गेहूं से एक पानी ज्यादा लगेगा, परन्तु पौष्टिक होने के साथ ही इस गेहूं की रोटियां काली, सफेद और गुलाबी रंग की होगी, जो जल्द ही पकाई जा सकेगी। यह गेहूं दूसरे गेहूं की किस्म से ज्यादा पौष्टिक भी होगा। आने वाले समय में यह गेहूं बाजार में दिखाई देने लगेगा।

ये है खासियत…
इस गेहूं की चमक सोने जैसी होगी जो दिखने वाले गेहूं से कई गुना ज्यादा पौष्टिक तो होगा ही, साथ ही जामुन, स्ट्रॉबेरी, चुकुंदर, जैसे फलों में पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट (एनथोसाइनिन) ज्यादा मात्रा में पाया जाता है। मानव शरीर को स्वास्थ रखने के लिए एंटीऑक्सीडेंट की बहुत आवश्यकता होती है और इस गेहूं में यह सभी गुण पर्याप्त मात्रा में है।

बीमारियां होगी दूर..
इस गेंहू को उपयोग में लेने के बाद दिल को रोग, डायबिटिज, कैंसर, मोटापा, कोलेस्ट्राल, तनाव जैसी कई दर्जनभर बीमारियों को दूर रखने में मददगार हो रहा है। स्वास्थ्य शरीर के लिए एंटीऑक्सीडेंट युक्त भोजन बहुत जरुरी होता है। यह गेहूं इसका विकल्प है। इसके सेवन से रोग-प्रतिरोधक क्षमता तो बढ़ती ही हैं साथ ही किसानों की आमदनी में भी बड़ा इजाफा हो रहा है। गेहूं का वास्तविक नाम (नाबी एमजी) जिसे लोग काला गेहूं के नाम से जानते है। जिससे चलन में इसका नाम काला गेहूं ही पड़ गया है।

जाने कीमत..
काला गेहूं 70 से 170 रुपए किलो मिल रहा है, जबकि क्विंटल में इसकी किमत 3500 रुपए मिल रही है। वहीं सामान्य गेहूं का भाव 1900 रुपए से लेकर 2400 रुपए प्रति क्विंटल रहता है। इंदौर में देपालपुर तहसील में शाहपुरा गांव में भी इसकी खेती बड़े पैमाने पर शुरू हो गई है। खरगोन जिले के कसरावद के 12 गांवों में इसकी खेती की जा रही है। किसान रोशन सेन आरगेनिक खेती कर रहे है। काले गेहूं के लिए इन्होंने दो बीघा जमीन अलग से आरक्षित कर रखी है। इनका मानना हैं कि काले गेहूं की पैदावर सामान्य गेहूं से कम होती है, वहीं इसमें खर्च अधिक होता है। जबकि इसे बोने की और दवाई के छिड़काव की प्रोसेस एक जैसी ही हैं।