नवरात्रि का त्यौहार पूरे नौ दिनों तक मनाया जाता हैं। इस पर्व को सबसे ज्यादा पावन पर्व माना जाता है। हिन्दू मान्यताओं में इस नवरात्रि का काफी महत्त्व है। इस दौरान सभी शुभ काम किए जाते हैं जो आगे जाकर हमे लाभ दें। साथ ही नौ दिनों में माँ दुर्गा के नौ रूपों की पुजा की जाती हैं। भक्त इन नौ दिनों मां के लिए व्रत भी रखते है। बता दे, शारदीय नवरात्रि 7 अक्टूबर से शुरू हो गई है। 15 अक्टूबर तक पवित्र त्योहार मनाया जाएगा। इन नौ दिनों में मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि में हवन करने के बाद कन्या पूजन का विशेष महत्व है। दरअसल, वेदों में छोटी बच्चियों को देवी का रूप माना गया है। कन्या की पूजा करने से मान, लक्ष्मी, विद्या और तेज की प्राप्ति होती है। लड़कियां बाधाओं, भय और शत्रुओं का नाश करती हैं।
कन्या पूजा विधि –
मान्यताओं के अनुसार, कन्या पूजा के दिन कन्याओं को अपने घर आमंत्रित करना चाहिए। पूजन में दो साल से लेकर 10 वर्ष तक की कन्या को बुलाना चाहिए। सभी बच्चियों के पैस शुद्ध जल से साफ करें। इसके बाद कन्याओं को आसन पर बैठने का अनुरोध करें। मां दुर्गा के सामने दीपक जलाकर उनका तिलक करें। सभी बच्चियों का भी तिलक करना चाहिए। जो भोजन बनाया है, पहले उसका भोग लगाएं। फिर कन्याओं को खिलाएं। अब लड़कियों का चरण स्पर्श कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करें। इसके के बाद श्रद्धा के अनुसार दक्षिणा देकर बच्चियों को विदा करें।
इन बातों का रखें ध्यान –
- कन्या पूजा में दो से दस वर्ष की लड़कियों को बुलाएं।
- पूजा से पहले ध्यान रखे कि घर अच्छे से साफ हो।
- मान्याओं के अनुसार कन्या की पूजा करने से दुख और दरिद्रता दूर होती है।
- दो साल की बच्ची का नाम कुमारी, तीन साल की त्रिमूर्ति, चार साल की कल्याणी, पांच साल की रोहिणी, छह साल की बच्ची, सात
- साल की चंडिका, आठ साल की बच्ची है।
- शंभरी, नौ साल की दुर्गा और दस साल की बच्ची सुभद्रा माना जाता है।
- कन्या पूजा से भक्तों की सभी इच्छाएं पूरी होती है।
- वह आर्थिक संकट दूर होता है।