एक बड़ा फैसला मध्य प्रदेश की हाईकोर्ट ने सुनाया है। इस फैसले में कोर्ट के द्वारा कहा गया है की किसी भी महिला को अगर उसका पति नौकरी छोड़ने या उसकी मर्ज़ी के विरुद्ध रहने के लिए मजबूर करता या ज़बरदस्ती करता है तो यह क्रूरता की श्रेणी में गिना जायेगा।
बता दें की इंदौर में केंद्र सरकार के अंतर्गत आने वाली संस्था में प्रंबधक के रूप कार्यरत एक महिला दायर की थी की उसका पति उसे रोज़ाना नौकरी छोड़ने दबाव बनाता है, ताकि वो भोपाल आकर उसके साथ रहे। महिला के कहना है की वहइस वजह से काफी मानसिक तनाव झेल रही है। आपको यह भी बता दें की महिला ने फैमिली कोर्ट में जब अर्ज़ी दी थी तब वह ख़ारिज कर दी गई थी। इसके बाद इस आदेश को उसने फैमिली कोर्ट के हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।
इसके बाद कई कानूनी पहलुओं पर विचार करते हुए मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति सुश्रुत अरविंद धर्माधिकारी की बेंच ने फैमिली कोर्ट जके फैसले को पलट दिया और महिला की तलाक की अर्जी को मंज़ूरी दे दी।
हाईकोर्ट का फैसला
13 नवंबर को हाईकोर्ट की इंदौर बेंच द्वारा यह फैसला सुनाया गया। इस फैसला में साफ़ -साफ़ यह कहा गया है की पति – पत्नी एक साथ रहना चाहे या नहीं ये उनकी इच्छा है। “पति या पत्नी में से कोई भी दूसरे पक्ष को नौकरी नहीं करने या जीवनसाथी की पसंद के अनुसार नौकरी करने के लिए मजबूर नहीं कर सकता है।”
इसके अलावा इस मामले को संज्ञान में लेते हुए कोर्ट ने यह भी कहा की पति ने पत्नी पर दबाव डाला कि वह अपनी सरकारी नौकरी छोड़ दें। इसके आगे कोर्ट ने अपने फैसले में कहा की महिला को उसका पति नौकरी छोड़ने या साथ रहने के लिए मजबूर नहीं कर सकता, यदि वह ऐसा करता है तो यह क्रूरता की श्रेणी में शामिल किया जायेगा।