इंदौर. शिक्षा समाज की वह धारा है, जिसके बिना एक बेहतर समाज की नींव रखना मुश्किल है, कई बार आर्थिक स्थिति कमजोर होने या अन्य कारणों से गांव देहात और गरीब घर के बच्चे शिक्षा की इस धारा से जुड़ने में वंचित रह जाते हैं, और वह समाज से अलग थलग दिखाई पढ़ते है, गरीब वर्ग के इन बच्चों को शिक्षा देने के मकसद से बहुउद्देशीय सेवा समिति की शुरुआत 1990 में संतोष सक्सेना द्वारा की गई थी। इस उद्देश्य से की अगर एक बच्चा शिक्षित होता है, तो उसकी सारी पीढ़ी अज्ञान के अंधकार से बाहर आ जाती है।
कई बच्चें शिक्षा प्राप्त कर अन्य संस्थान में है कार्यरत
उनकी बेटी अर्चना सक्सेना शर्मा ने बताया कि हाल ही में उनकी माताजी का निधन हो गया है, उनके इस मिशन को अब वह आगे बढ़ा रही है। 32 साल पहले जनसहयोग से इस संस्था की शुरुआत 2 बच्चों से हुई थी आज लगभग 50 से ज्यादा बच्चे शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। इनमें से ऐसे कई बच्चें है जो शिक्षित होकर प्राइवेट और गवर्मेंट संस्थान में कार्य कर अपनी आजीविका चला रहे हैं। और समाज में अपना योगदान दे रहे हैं।
केजी फर्स्ट से लेकर कॉलेज और गवर्मेंट एक्जाम की तैयारी करने वाले स्टूडेंट भी संस्था का हिस्सा
केजी फर्स्ट से लेकर कॉलेज की पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट संस्था में रहकर अपनी शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं, संस्था द्वारा शहर के इंग्लिश मीडियम प्रेमा देवी पब्लिक स्कूल में पहली से छटी तक के बच्चें शिक्षा प्राप्त करते हैं , वहीं बाहरवी तक के विद्यार्थी दयानंद स्कूल में अपनी शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। कॉलेज स्टूडेंट में एमबीए, नर्सिंग, बीबीए, और अन्य सब्जेक्ट में बच्चे शिक्षा हासिल कर रहे हैं। इसी के साथ संस्था में ऐसे भी कई विद्यार्थी है जो कॉलेज के बाद गवर्मेंट सेक्टर के लिए संस्था को मदद से तैयारी कर रहे हैं।
बच्चों के रहने खाने से लेकर पढ़ाई का पूरा खर्च उठाती है संस्था
वह बताती हैं कि शहर के कई दानदाता इस संस्था से जुड़े हैं, उनकी बदौलत आज यह संभव हो पा रहा है। संस्थान द्वारा बच्चों की किताबों से लेकर उनके स्कूल और कॉलेज का पुरा खर्च उठाया जाता है। इसी के साथ बच्चों के रहने की व्यवस्था भी है, दो ब्लॉक में हॉस्टल का निर्माण किया गया है, जिसमें लगभग 30 लड़कियां और 20 से ज्यादा लड़के रहते हैं। इन बच्चों को सुबह उठकर नाश्ता, खाना और दिन में नाश्ता और दोनों समय का भोजन संस्था द्वारा किया जाता है। इन बच्चों की देखभाल के लिए 7 से 8 कर्मचारी कार्यरत है, वहीं लड़कियों के लिए महिला कर्मी भी संस्था में कार्यरत है। लगभग सारे बच्चें आदिवासी क्षेत्र से हैं। इन बच्चों के एडमिशन संस्था द्वारा माता पिता के दस्तावेज और अन्य कागजी कार्यवाही के बाद किए जाते हैं।