मध्यप्रदेश शासन के अधिमान्यता कार्ड का दुरुपयोग पड़ेगा महंगा, होगी कार्रवाई

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कतिपय समाचार-पत्रों तथा मीडिया संबंधी विभिन्न संगठनों और संस्थाओं द्वारा राज्य शासन के जनसंपर्क विभाग द्वारा जारी अधिमान्य पत्रकारों के परिचय-पत्र के स्वरूप तथा उसके समान दिखने वाले परिचय-पत्र जारी किए जा रहे हैं। कई परिचय-पत्रों में राज्य शासन द्वारा अधिकृत अथवा राज्य शासन के अधिमान्य/राज्य शासन से मान्यता प्राप्त आदि शब्दों का भी उपयोग किया जा रहा है, जो पूरी तरह से नियमों के विरुद्ध है।

संभागीय जनसंपर्क कार्यालय इंदौर द्वारा स्पष्ट किया गया है कि अधिमान्य पत्रकारों के लिए जारी किए जाने वाले अधिमान्यता परिचय-पत्रों के संबंध में जारी नियमों के अनुसार राज्य शासन के जनसंपर्क विभाग द्वारा जारी अधिमान्य पत्रकारों के परिचय-पत्र का उपयोग मात्र पत्रकारिता कार्यों के लिए ही किए जाने का प्रावधान है। इसका सार्वजनिक प्रदर्शन नहीं किया जाना चाहिए। इसका उपयोग निजी एवं व्यवसायिक कार्य के लिए किया जाना प्रतिबंधित है। राज्य शासन के अधिमान्य पत्रकार द्वारा इससे मिलते-जुलते शब्दों का उपयोग, वाहन, विजिटिंग कार्ड अथवा लेटर हेड पर करना भी प्रतिबंधित है।

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राज्य शासन के जनसंपर्क विभाग द्वारा जारी पत्र प्रतिनिधि अधिमान्यता नियम के अनुसार अधिमान्यता का परिचय पत्र जनसंपर्क विभाग द्वारा विभिन्न पात्रता और प्रक्रियाओं के बाद ही जारी किया जाता है। इस नियम में राज्य शासन के अधिमान्य पत्रकारों के परिचय-पत्र के उपयोग के संबंध में भी उल्लेख है। नियम में कहा गया है कि यह परिचय-पत्र विभिन्न शर्तों के तहत प्रदान किया जाता है।

पत्रकारिता के कार्य में अव्यवस्था अथवा असम्मानजनक तरीके से व्यवहार करने पर गुण-दोष के आधार पर निर्णय लेकर अधिमान्यता समाप्त की जा सकती है। असत्य, अपूर्ण तथा भ्रमक जानकारी देने पर भी अधिमान्यता निरस्त करने का अधिकार जनसंपर्क विभाग को है। प्रेस तथा रजिस्ट्रेशन ऑफ बुक्स एक्ट्स 1867 के उपबंधों का पालन भी अधिमान्य पत्रकारों को करना अनिवार्य है। इसका उल्लंघन पाए जाने पर भी उस समाचार-पत्र से संबंधित पत्रकारों की अधिमान्यता निरस्त की जा सकती है।

यह देखा गया है कि कतिपय समाचार-पत्र इलेक्ट्रॉनिक्स चैनल, न्यूज़ वेब पोर्टल, न्यूज वेबसाइट मीडिया संबंधी संगठन और संस्थाएं राज्य शासन के जनसंपर्क विभाग द्वारा जारी अधिमान्य पत्रकारों के परिचय-पत्र से मिलते-जुलते परिचय-पत्र जारी कर रहे हैं। यह पूरी तरह से अवैधानिक और नियमों के विरुद्ध है। आग्रह किया जाता है कि इस तरह के परिचय पत्र जारी नहीं किए जाएं। फिर भी अगर वह ऐसा किया जाता तो अप्रिय स्थितियों का सामना करना पड़ सकता है।

वर्तमान में यह भी देखने में आ रहा है कि अधिमान्यता प्राप्त कुछ पत्रकारों द्वारा अधिमान्यता कार्ड का दुरुपयोग किया जा रहा है। अधिमान्यता संबंधी उल्लेख अपने विज़िटिंग कार्ड, लेटरपेड आदि में किया जा रहा है, कुछ प्रकरणों में अपने वाहनों पर भी यह अंकित कराया गया है, जो उचित नहीं है। विज्ञापन के लिए मान्य समाचार पत्रों के कुछ स्वामी/प्रकाशक/संपादकों द्वारा मध्यप्रदेश शासन के अधिमान्यता कार्ड से मिलते-जुलते कार्ड अपने संवाददाताओं को बनाकर दिए जा रहे हैं, जो विधि विरुद्ध है और मध्यप्रदेश के राजपत्र दिनांक 1 जून 2007 को प्रकाशित अधिमान्यता संबंधी नियमों में उल्लेखित प्रावधानों का उल्लंघन है।

संभागीय जनसंपर्क कार्यालय, इंदौर द्वारा स्पष्ट किया गया है कि जो व्यक्ति ऐसा कर रहे हैं, वे तत्काल इसे बंद करें। मध्यप्रदेश शासन के मिलते-जुलते अधिमान्यता कार्ड जारी करने वाले सभी कार्ड वापस लेते हुए इसकी सूचना जनसंपर्क को प्रेषित करें। यदि किसी पत्रकार के पास अधिमान्यता कार्ड से मिलता-जुलता कार्ड पाया जाता है तो वैधानिक कार्रवाई की जाना सुनिश्चित है।

अधिमान्यता प्राप्त पत्रकार का अन्य जिले में स्थानांतरण होने अथवा संस्थान बदलने पर अधिमान्यता रद्द हो जायेगी। जिन शर्तों के पूर्ण होने पर मीडियाकर्मी को अधिमान्यता प्रदान की गयी है यदि वे समाप्त होती है/प्रभावित होती है, उस स्थिति में अधिमान्यता निरस्त की जा सकेगी।

यदि यह पाया जाता है कि अधिमान्यता के लिये आवेदक या उसके नियोक्ता संस्थान ने असत्य/अपूर्ण/भ्रामक जानकारी दी है, उस स्थिति में संबंधित की अधिमान्यता निरस्त की जा सकेगी। साथ ही संबंधित प्रतिनिधि/संवाददाता की अधिकतम दो वर्ष के लिये अधिमान्यता के लिये अनर्हता की जायेगी। पत्रकार के किसी भी कारण से अधिमान्य नहीं रहने पर अथवा6 सेवानिवृत्त होने पर अधिमान्यता कार्ड वापिस जमा किया जाना अनिवार्य है। जिन अधिमान्यता प्राप्त पत्रकारों पर आपराधिक प्रकरण दर्ज होता है तो उनकी अधिमान्यता समाप्त की जा सकेगी। साथ ही जिन मानदण्डों के आधार पर अधिमान्यता दी गयी है, उनके नहीं रहने पर अधिमान्यता रद्द की जा सकेगी।

उल्लेखनीय है कि नक़ली अधिमान्यता कॉर्ड के एक प्रकरण पर अभी हाल में जनसंपर्क विभाग इन्दौर द्वारा पुलिस में एफ़आइआर भी दर्ज कराई गई है।